वसंत पंचमी 2025, ज्ञान और विद्या की देवी की आराधना का पर्व फरवरी 2 को मनाएँगे
- In मुख्य समाचार 19 Jan 2025 10:07 AM IST
नई दिल्ली: बसंत पंचमी का पावन पर्व, जो ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में इस पर्व की तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति थी, लेकिन पंचांगों के अनुसार, यह उत्सव 2 फरवरी 2025, रविवार को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
तिथि और मुहूर्त:
द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि का आरंभ 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगा और इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 2 फरवरी को ही मनाई जाएगी। इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
महत्व और मान्यता:
बसंत पंचमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह ऋतु परिवर्तन का भी सूचक है, जब प्रकृति शीत ऋतु की विदाई और वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करती है। इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करने से बुद्धि, विद्या, ज्ञान, संगीत और कला में वृद्धि होती है। मान्यता है कि इसी दिन माँ सरस्वती का प्राकट्य हुआ था।
पूजा विधि और परंपराएँ:
बसंत पंचमी के दिन भक्तगण पीले और सफेद रंग के वस्त्र धारण करते हैं, जो पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक माने जाते हैं। घरों और शिक्षण संस्थानों में माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी विधि विधान से पूजा की जाती है। उन्हें पीले फूल, फल, मिठाई और विशेष रूप से बूंदी अर्पित की जाती है। कई स्थानों पर इस दिन बच्चों का अक्षर अभ्यास भी कराया जाता है, जिसे विद्या आरंभ संस्कार कहते हैं।
बसंत पंचमी का सांस्कृतिक महत्व:
यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन कई लोग गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत और विवाह जैसे शुभ कार्य भी करते हैं। इस प्रकार, बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या और कला के महत्व को दर्शाता है और हमें प्रकृति के साथ जुड़ने का संदेश देता है। 2025 में यह पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा, जब भक्तगण माँ सरस्वती की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
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