2025 में बसंत पंचमी, शुभ तिथि, शाही स्नान और दुर्लभ योग का महत्व
- In मुख्य समाचार 22 Jan 2025 11:16 AM IST
बसंत पंचमी 2025 की तिथि और समय
2025 में बसंत पंचमी का पावन पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि का शुभारंभ 2 फरवरी को सुबह 9:16 बजे होगा और यह 3 फरवरी को सुबह 6:54 बजे समाप्त होगी। इस वजह से बसंत पंचमी की पूजा और व्रत 2 फरवरी को किया जाएगा। हालांकि, पंचमी तिथि अगले दिन सुबह तक बनी रहेगी, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाती है।
शाही स्नान का महत्व
3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में शाही स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:33 बजे से 6:21 बजे तक रहेगा। इस समय किए गए स्नान और पूजा से अद्भुत पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दुर्लभ अवसर वर्षों में एक बार ही आता है, जिससे इस बसंत पंचमी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
2025 में बसंत पंचमी के शुभ योग
इस वर्ष बसंत पंचमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे अत्यंत फलदायी बनाते हैं।
1. सर्वार्थ सिद्धि योग: 2 फरवरी की सुबह 7:09 बजे से देर रात तक।
2. शिव योग: सुबह 9:14 बजे तक।
3. इसके बाद सिद्ध योग का आरंभ होगा, जो पूरे दिन शुभ प्रभाव देगा।
4. नक्षत्र: सुबह तक उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और फिर रेवती नक्षत्र का प्रभाव।
इन योगों का संयोग किसी भी शुभ कार्य की सफलता सुनिश्चित करता है।
बसंत पंचमी पर क्या करें?
* मां सरस्वती की पूजा:
विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती की आराधना करें। विद्यार्थी और कलाकार इस दिन मां से ज्ञान और रचनात्मकता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
* शुभ कार्यों की शुरुआत:
सर्वार्थ सिद्धि और सिद्ध योग के दौरान नए व्यवसाय, संपत्ति की खरीदारी या अन्य शुभ कार्य आरंभ करना अत्यंत लाभकारी रहेगा।
* पीले वस्त्र धारण करें:
पीला रंग शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन पीले वस्त्र पहनें और मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें।
* दान करें:
ब्राह्म मुहूर्त में स्नान के बाद दान करना विशेष पुण्यकारी होता है। गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन दान करें।
दुर्लभ योग का विशेष महत्व
2025 की बसंत पंचमी पर पंचमी तिथि, ब्रह्म मुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का अद्भुत संगम बन रहा है। यह संयोग धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। इस अवसर पर की गई आराधना और दान से व्यक्ति को कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
2025 की बसंत पंचमी न केवल शुभ तिथियों और दुर्लभ योगों के कारण विशेष है, बल्कि यह हर भक्त को आध्यात्मिक उन्नति और सफलता का अनोखा अवसर प्रदान करती है। इस पवित्र दिन पर मां सरस्वती की पूजा करें, शुभ कार्य करें और जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता का संचार करें।
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