ब्रज की होली 2025, जब भगवान कृष्ण स्वयं खेलते हैं भक्तों संग रंगों की होली

फाल्गुन मास की शुरुआत होते ही ब्रजभूमि में होली की उमंग छाने लगती है। इस उत्सव की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन होती है, जब मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव के मंदिरों में रंगों की पहली बौछार होती है। यहां होली सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि कई दिनों तक चलने वाला भव्य आयोजन है, जिसमें भक्त रंग, फूल, लड्डू और प्रेम से सराबोर होकर भक्ति में लीन हो जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में होली के विशेष आयोजन का अलग ही आकर्षण होता है। इस दौरान मंदिरों और गलियों में चारों ओर गुलाल उड़ता है, भजन-कीर्तन गूंजते हैं, और हर ओर भक्तिभाव से भरे श्रद्धालु दिखाई देते हैं। आस्था है कि इस पावन अवसर पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण गर्भगृह से निकलकर अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं, जिससे वातावरण पूरी तरह से दिव्य हो उठता है।
बरसाना की प्रसिद्ध लठमार होली, नंदगांव की होली, वृंदावन में फूलों की होली और रंगभरी एकादशी से जुड़े अनूठे आयोजन देशभर के भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यह त्योहार सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं, बल्कि प्रेम, श्रद्धा और भक्ति की अनूठी मिसाल है, जिसमें हर कोई कृष्णमय हो जाता है।
ब्रज की होली 2025 से जुड़ी प्रमुख बाते
* होली की शुरुआत: बसंत पंचमी से
* अहम आयोजन: बरसाना लठमार होली, वृंदावन फूलों की होली, नंदगांव होली, रंगभरी एकादशी
* आस्था: भगवान कृष्ण स्वयं अपने भक्तों के संग खेलते हैं होली
* विशेष स्थान: मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव
ब्रज की होली सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी दिव्यता और प्रेम का प्रतीक है, जिसे हर साल लाखों श्रद्धालु अनुभव करने के लिए यहां आते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।