चैत्र नवरात्रि 2025, प्रथम दिवस पर ऐसे करें विधि-विधान से कलश स्थापना और माँ दुर्गा की पूजा

30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह नववर्ष का भी प्रतीक होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च 2025, रविवार को होगा। इस दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। यदि विधि-विधान से कलश स्थापना की जाए और मां दुर्गा की पूजा की जाए, तो भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, कलश स्थापना की सही विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा में उच्चारित किए जाने वाले मंत्रों के बारे में विस्तार से।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में की जाती है, जिससे पूजा का अधिकतम फल प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, 30 मार्च 2025 को प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ प्रातः 06:12 बजे होगा और यह तिथि अगले दिन 31 मार्च को प्रातः 08:29 बजे समाप्त होगी।
✅ कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
🔹 अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:56 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक
🔹 शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:12 बजे से 08:45 बजे तक
🔹 विकल्पीय मुहूर्त: यदि मुख्य मुहूर्त में कलश स्थापना संभव न हो, तो प्रातः 10:30 बजे से 12:00 बजे तक भी कलश स्थापित किया जा सकता है।
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का संकल्प लिया जाता है। विधिपूर्वक कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नवरात्रि के दौरान व्रत-पूजन के फल में वृद्धि होती है।
🔸 सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
🔸 एक लकड़ी के पट्टे पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
🔸 अब मिट्टी का एक कलश लें और उसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का, पंचरत्न और अक्षत डालें।
🔸 कलश के मुख पर आम के पत्ते सजाएं और उसके ऊपर नारियल रखें।
🔸 नारियल पर लाल कलावा बांधें और कलश को देवी की प्रतिमा के सामने स्थापित करें।
🔸 कलश के पास जौ बोएं, जिससे शुभता और समृद्धि का संचार होता है।
🔸 दीप प्रज्वलित करें और मां दुर्गा का आह्वान करते हुए संकल्प लें।
नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि
🔹 प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर जाएं।
🔹 दीप जलाकर भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें दूर्वा, मोदक व फूल अर्पित करें।
🔹 मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठकर दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
🔹 माता रानी को लाल चुनरी, श्रृंगार सामग्री और फल-फूल अर्पित करें।
🔹 माता को भोग में गाय के घी से बनी मिठाई या हलवा अर्पित करें।
🔹 आरती करें और "जय माता दी" के जयकारे लगाएं।
🔹 दिनभर व्रत का पालन करें और शाम को दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का विशेष मंत्र
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें:
॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥
इस मंत्र के जाप से मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व
कलश स्थापना का सीधा संबंध घर की सकारात्मक ऊर्जा से होता है। यह सुख, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करता है। ऐसा माना जाता है कि कलश में देवी शक्ति का वास होता है, इसलिए नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक कलश की पूजा करना शुभ होता है।
30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी, जिसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ घटस्थापना की जाएगी। सही विधि और शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से भक्तों को माता रानी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि पूरे विधि-विधान से नवरात्रि के व्रत और पूजन का पालन किया जाए, तो जीवन में सुख-शांति और उन्नति प्राप्त होती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।