चैत्र नवरात्रि 2025 महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की आराधना से खुलते हैं सिद्धियों के द्वार, जानें पूजन विधि, मंत्र और भोग सामग्री

चैत्र नवरात्रि 2025 महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की आराधना से खुलते हैं सिद्धियों के द्वार, जानें पूजन विधि, मंत्र और भोग सामग्री
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6 अप्रैल 2025, रविवार – चैत्र नवरात्रि का अंतिम और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन, महानवमी, आज पूरे श्रद्धा और विधि-विधान के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इस नौवें दिन मां दुर्गा के नवम रूप – मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि जो साधक पूरी श्रद्धा और निष्ठा से महानवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना करता है, उसे अलौकिक सिद्धियां, मानसिक शांति और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप और महत्व

मां सिद्धिदात्री को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, जो कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनके हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल सुशोभित होते हैं। देवी सिद्धिदात्री ज्ञान, बुद्धि, आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धियों की अधिष्ठात्री हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया और अर्धनारीश्वर रूप को धारण किया था।

पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष महानवमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:04 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है। इस अवधि में मां सिद्धिदात्री की पूजा, कन्या पूजन और हवन करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। विशेष रूप से नवरात्रि के नौवें दिन कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराना और उनका आशीर्वाद लेना शुभ होता है।

मां सिद्धिदात्री को अर्पित करें ये भोग

मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोगों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन उन्हें तिल के लड्डू, काजू-किशमिश युक्त खीर, पंचमेवा, नारियल और शहद अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर मां को नौ प्रकार के फल या नौ प्रकार के अनाजों का भोग भी लगाया जाता है, जो नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होता है।

पूजन मंत्र और आरती

मां सिद्धिदात्री की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है:

"ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः"

या

"सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यामाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

पूजा के अंत में मां की आरती करना और “जय अम्बे गौरी” अथवा “सिद्धिदात्री जय जय मां” आरती गाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि की महानवमी तिथि मां शक्ति की पूर्णता का प्रतीक मानी जाती है। मां सिद्धिदात्री की आराधना जहां साधकों को सिद्धियों का वरदान देती है, वहीं श्रद्धालुओं को मानसिक संतुलन, सुख, और समृद्धि की ओर अग्रसर करती है। यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक मां की पूजा की जाए, तो जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति मिल सकती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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