30 मार्च से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि, इस वर्ष केवल 8 दिनों तक रखे जाएंगे व्रत, जानें कौन सी तिथि होगी क्षय

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है, क्योंकि यह वसंत ऋतु में आती है और देवी दुर्गा की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025, रविवार से आरंभ हो रही है और 7 अप्रैल 2025 को राम नवमी के साथ संपन्न होगी। हालांकि, इस बार भक्तों को 9 दिनों का उपवास नहीं रखना पड़ेगा, क्योंकि नवरात्रि का एक दिन क्षय हो रहा है। इसके चलते व्रत केवल 8 दिनों तक ही रखे जाएंगे। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस वर्ष कौन सी तिथि का लोप हो रहा है और इसका धार्मिक प्रभाव क्या होगा।
इस वर्ष क्यों होंगे केवल 8 दिन के व्रत?
प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाती है, लेकिन ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण कभी-कभी किसी तिथि का क्षय हो जाता है। 2025 में सप्तमी तिथि का लोप होगा, यानी सप्तमी तिथि का संयोग नहीं बनेगा। इस कारण से नवरात्रि में केवल 8 दिनों तक ही देवी की उपासना की जा सकेगी।
तिथि क्षय तब होता है जब किसी तिथि का आरंभ और समाप्ति एक ही दिन के भीतर हो जाती है। इस बार सप्तमी तिथि का उदय और अस्त एक ही दिन में हो जाएगा, जिससे यह तिथि कैलेंडर में मान्य नहीं होगी। धार्मिक दृष्टि से यह एक सामान्य खगोलीय घटना होती है, जो पंचांग गणना के अनुसार घटित होती है।
चैत्र नवरात्रि 2025 का संपूर्ण कैलेंडर
➤ 30 मार्च 2025 (रविवार) – प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
➤ 31 मार्च 2025 (सोमवार) – द्वितीया, ब्रह्मचारिणी पूजा
➤ 1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) – तृतीया, चंद्रघंटा पूजा
➤ 2 अप्रैल 2025 (बुधवार) – चतुर्थी, कूष्मांडा पूजा
➤ 3 अप्रैल 2025 (गुरुवार) – पंचमी, स्कंदमाता पूजा
➤ 4 अप्रैल 2025 (शुक्रवार) – षष्ठी, कात्यायनी पूजा
➤ 5 अप्रैल 2025 (शनिवार) – सप्तमी क्षय (तिथि नहीं रहेगी)
➤ 6 अप्रैल 2025 (रविवार) – अष्टमी, महागौरी पूजा, कन्या पूजन
➤ 7 अप्रैल 2025 (सोमवार) – नवमी, सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी
इस वर्ष सप्तमी तिथि के लोप होने के बावजूद नवरात्रि का पूर्ण धार्मिक महत्व बना रहेगा, और मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना से होता है, जिसे बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। 30 मार्च 2025 को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:15 बजे से 8:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान घर में कलश स्थापना कर देवी दुर्गा का आवाहन किया जाता है।
घटस्थापना की विधि:
* किसी स्वच्छ स्थान पर मिट्टी का एक पात्र रखें और उसमें जौ बोएं।
* इस पात्र के मध्य में तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।
* कलश में गंगा जल भरकर, उसके ऊपर नारियल रखें और आम या अशोक के पत्तों से इसे सजाएं।
* देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाएं और अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
* प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और विशेष रूप से सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन व्रत का पालन करें।
सप्तमी तिथि क्षय का धार्मिक प्रभाव
किसी भी तिथि के क्षय होने पर यह प्रश्न उठता है कि इसका धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव क्या होगा। सप्तमी तिथि के लोप होने से कुछ श्रद्धालु चिंतित हो सकते हैं, लेकिन धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई तिथि पंचांग गणना में विलीन हो जाती है, तो पूजा का प्रभाव कम नहीं होता। सप्तमी पर होने वाली पूजा का संयोग षष्ठी या अष्टमी तिथि में किया जा सकता है, जिससे कोई भी धार्मिक बाधा उत्पन्न नहीं होती।
अष्टमी और नवमी व्रत का विशेष महत्व
इस वर्ष भी नवरात्रि के अंतिम दो दिन—अष्टमी (6 अप्रैल) और नवमी (7 अप्रैल) विशेष महत्व रखते हैं। इन दिनों में कन्या पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से अष्टमी के दिन दुर्गाष्टमी व्रत का पालन करने से माता महागौरी की कृपा प्राप्त होती है।
चैत्र नवरात्रि 2025 इस बार 8 दिनों की होगी, क्योंकि सप्तमी तिथि का क्षय हो रहा है। यह नवरात्रि वसंत ऋतु में देवी शक्ति की आराधना का सबसे शुभ समय होता है, जिसमें भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। तिथि लोप के बावजूद पूजा की महिमा और भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं होगी। घटस्थापना से लेकर राम नवमी तक विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे, और इस दौरान देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक पूजन करना शुभ रहेगा।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।