चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत कब है? जानें सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत कब है? जानें सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
X

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम साधन माना जाता है। चैत्र माह के पहले प्रदोष व्रत को लेकर श्रद्धालु भ्रमित हैं कि यह 26 मार्च को रखा जाएगा या 27 मार्च को। आइए जानते हैं इस व्रत की सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

कब रखा जाएगा चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत?

चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत 27 मार्च 2025, गुरुवार को रखा जाएगा। यह व्रत गुरुवार को होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है और कष्टों का निवारण होता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत का अनुष्ठान करने के लिए भक्तों को पूरे दिन उपवास रखना चाहिए और सूर्यास्त के बाद भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए।

* स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

* शिव पूजन: संध्या समय भगवान शिव का अभिषेक करें। जल, दूध, शहद, दही, गंगाजल आदि से शिवलिंग का स्नान कराएं।

* आरती और मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें और भगवान शिव की आरती करें।

* दान-पुण्य: जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें, इससे व्रत का फल अधिक प्राप्त होता है।

* उपवास समाप्ति: अगले दिन सूर्योदय के बाद फलाहार या अन्न ग्रहण करें।

प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है। विशेष रूप से, गुरु प्रदोष व्रत रखने से बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, जिससे बुद्धि, ज्ञान और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 26 मार्च 2025 को रात्रि 10:15 बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 27 मार्च 2025 को रात 08:45 बजे

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 06:30 से रात 08:30 तक

जो भी श्रद्धालु भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें पूरे विधि-विधान से यह व्रत रखना चाहिए। इससे न केवल कष्टों का निवारण होता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it