द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025, 16 फरवरी को गणपति आराधना से मिलेगा सौभाग्य और समृद्धि
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संकष्टी चतुर्थी का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शुभ व्रत 16 फरवरी 2025 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सौभाग्य, बुद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भगवान गणपति को अर्पित की गई भक्ति और उपासना सभी कष्टों को दूर करने में सहायक होती है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 तिथि और मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 फरवरी 2025, प्रातः 02:15 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 फरवरी 2025, प्रातः 04:40 बजे
चंद्रोदय का समय: सायं 08:58 बजे (स्थानीय समयानुसार भिन्न हो सकता है)
संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
इस दिन भक्तगण सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। दिनभर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना और मंत्र जाप करते हैं। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
👉 व्रत और पूजा की विधि:
✅ प्रातः काल स्नान के बाद गणेश जी का स्मरण करें।
✅ विधिपूर्वक भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र पर जल, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
✅ गणपति को दूर्वा, मोदक, लड्डू और तिल से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
✅ "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
✅ संकटनाशन गणेश स्तोत्र और गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
✅ रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन करें।
संकष्टी चतुर्थी पर दान-पुण्य का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन अन्न, वस्त्र, धन और जरूरतमंदों को भोजन कराने का विशेष महत्व होता है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। गणेश जी की कृपा पाने के लिए गौ सेवा, ब्राह्मण भोजन और अन्न दान करना उत्तम माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ
🔹 सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
🔹 जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
🔹 विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष लाभकारी व्रत।
🔹 पारिवारिक जीवन में शांति और प्रेम बढ़ता है।
🔹 स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है।
16 फरवरी 2025 को आने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा के लिए बेहद शुभ मानी जा रही है। इस दिन श्रद्धापूर्वक गणेश जी की आराधना करने, दान-पुण्य करने और संकटनाशक मंत्रों का जाप करने से जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है। भगवान गणपति की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
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