ईद-उल-फितर 2025, कब दिखेगा चांद और भारत में किस दिन मनाई जाएगी ईद? जानें तारीख और ईदी का महत्व

चांद का दीदार और ईद की सही तारीख
ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर लोग रोज़े (उपवास) समाप्त कर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं। ईद का दिन पूरी तरह से चांद के दिखने पर निर्भर करता है, इसलिए इसकी सही तारीख का निर्धारण इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार किया जाता है।
इस साल, ईद-उल-फितर 2025 का चांद 29वें या 30वें रमज़ान को नजर आएगा, और इसी आधार पर भारत में ईद की सही तारीख तय होगी। अगर चांद 29वें रमज़ान को दिख जाता है, तो ईद अगले दिन मनाई जाएगी। अन्यथा, रमज़ान 30 दिन का होगा और ईद एक दिन बाद होगी।
भारत में कब मनाई जाएगी ईद-उल-फितर 2025?
भारत में ईद-उल-फितर 10 या 11 अप्रैल 2025 को मनाई जा सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से चांद के दीदार पर निर्भर करेगा। सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में ईद एक दिन पहले मनाई जाती है, इसलिए भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में यह आमतौर पर एक दिन बाद मनाई जाती है।
क्यों खास होता है ईद-उल-फितर का त्योहार?
ईद-उल-फितर सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व रमज़ान के पूरे महीने के कठिन उपवास के बाद अल्लाह की रहमत और नेमतों का जश्न मनाने का अवसर होता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दूसरे को गले लगाकर ईद मुबारक कहते हैं और समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हैं।
ईद-उल-फितर का महत्व:
✅ रमज़ान के खत्म होने की खुशी – एक महीने की इबादत और रोज़े के बाद ईद को अल्लाह का इनाम माना जाता है।
✅ सामाजिक एकता और भाईचारा – यह दिन लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है और सभी मतभेद मिटाकर प्रेम और सौहार्द का संदेश देता है।
✅ जरूरतमंदों की मदद – ईद से पहले हर मुस्लिम को फितरा (दान) देना अनिवार्य होता है, जिससे गरीब लोग भी इस त्योहार को मना सकें।
ईदी का महत्व: क्यों दी जाती है ईदी?
ईद-उल-फितर के मौके पर बड़ों द्वारा बच्चों को जो उपहार या धनराशि दी जाती है, उसे ईदी कहते हैं। ईदी देने की परंपरा बहुत पुरानी है और यह बड़ों का छोटों पर आशीर्वाद और स्नेह व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है।
🔹 ईदी मिलने से बच्चों में खुशी और उत्साह बढ़ता है।
🔹 यह परंपरा पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाती है।
🔹 ईदी देने का अर्थ खुशियों को बांटना और परोपकार को बढ़ावा देना है।
ईद-उल-फितर की परंपराएं और रीति-रिवाज
ईद का दिन बेहद खास होता है और इस दिन कई महत्वपूर्ण परंपराएं निभाई जाती हैं:
1️⃣ सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और नए या साफ कपड़े पहनना।
2️⃣ ईद की नमाज पढ़ने से पहले फितरा (दान) देना अनिवार्य होता है।
3️⃣ मस्जिद या ईदगाह में जाकर ईद की विशेष नमाज अदा करना।
4️⃣ एक-दूसरे को गले लगाकर ‘ईद मुबारक’ कहना।
5️⃣ मीठी सेवइयों और स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेना।
ईद के खास पकवान: मीठे और लज़ीज़ व्यंजन
ईद के मौके पर घरों में कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें खासतौर पर शीर खुरमा, सेवईं, बिरयानी, कबाब, फिरनी, और निहारी जैसी डिशेज शामिल होती हैं।
🔹 शीर खुरमा: दूध, मेवा, और सेवई से बनी यह डिश ईद की खास पहचान होती है।
🔹 बिरयानी: मटन या चिकन से बनी बिरयानी हर घर में खास तौर पर बनाई जाती है।
🔹 फिरनी: चावल, दूध और केसर से बनी यह पारंपरिक मिठाई बेहद लोकप्रिय होती है।
ईद-उल-फितर सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, एकता, दान और परोपकार का संदेश देने वाला पर्व है। यह त्योहार सभी मतभेदों को भुलाकर प्रेम और सौहार्द का वातावरण बनाता है। इस बार भारत में ईद 10 या 11 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी, लेकिन इसकी सही पुष्टि चांद दिखने के बाद ही होगी।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।