फाल्गुन 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार, जानिए कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि और होली
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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास वर्ष का अंतिम महीना होता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना न केवल ऋतु परिवर्तन का संकेतक है, बल्कि इसमें कई प्रमुख व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं जो आध्यात्मिक ऊर्जा और उल्लास से भरे होते हैं। फाल्गुन मास में शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि और रंगों के त्योहार होली का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं फाल्गुन महीने 2025 के सभी महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों की विस्तृत जानकारी:
फाल्गुन मास 2025 की शुरुआत और समाप्ति:
फाल्गुन मास प्रारंभ: 13 फरवरी 2025 (गुरुवार)
फाल्गुन मास समाप्ति: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
फाल्गुन महीने के प्रमुख व्रत-त्योहार 2025:
1. जया एकादशी – 24 फरवरी 2025 (सोमवार)
यह एकादशी व्रत विजय प्राप्ति और पापों के नाश के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु की आराधना इस दिन विशेष फलदायी होती है।
2. महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करके मोक्ष की कामना करते हैं।
3. आमलकी एकादशी – 10 मार्च 2025 (सोमवार)
इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा के साथ भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। यह व्रत स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है।
4. फाल्गुन पूर्णिमा (होली) – 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसके अगले दिन रंगों का त्योहार धुलंडी पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
5. रंगवाली होली (धुलंडी) – 15 मार्च 2025 (शनिवार)
रंगों का यह उत्सव प्रेम, भाईचारे और आनंद का प्रतीक है। इस दिन लोग गुलाल और रंगों से एक-दूसरे को रंग कर खुशियां बांटते हैं।
फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व:
फाल्गुन माह को भक्ति, प्रेम और रंगों का महीना कहा जाता है। इस माह में भगवान शिव, विष्णु और श्रीकृष्ण की उपासना विशेष पुण्यदायी मानी जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही श्री चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था, जिनका भक्ति आंदोलन में बड़ा योगदान रहा।
फाल्गुन महीने में क्या करें:
* भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
* विष्णु सहस्रनाम और श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें।
* होली के समय गिलोय, तुलसी और नीम का सेवन करें ताकि बदलते मौसम में स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।
* दान-पुण्य करें और गरीबों को वस्त्र, अनाज और जरूरत का सामान दें।
फाल्गुन मास न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि यह उमंग, उल्लास और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। महाशिवरात्रि की भक्ति से लेकर होली के रंगों तक, यह महीना हर व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा और आनंद का संचार करता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |