होली 2025 पर लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें सूतक काल और आवश्यक नियम

रंगों और उल्लास से भरा होली का पर्व इस साल एक विशेष खगोलीय घटना का साक्षी बनने जा रहा है। 14 मार्च 2025 को होली के दिन ही साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, जिसके चलते इस दौरान कई धार्मिक गतिविधियां रोक दी जाती हैं। विशेष रूप से, मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ पर भी प्रतिबंध लग जाता है।
ग्रहण और सूतक काल का महत्व
हिंदू ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसे अशुभ माना जाता है। सूतक काल की अवधि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होती है और ग्रहण समाप्त होने तक प्रभावी रहती है। इस दौरान न तो किसी शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है और न ही भोजन, जल ग्रहण या अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियां की जाती हैं।
सूतक काल में क्या करें और क्या न करें?
मंदिरों के कपाट रहते हैं बंद – ग्रहण के दौरान किसी भी मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं की जाती।
खाने-पीने पर रोक – इस समय भोजन करने से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण के प्रभाव से भोजन दूषित माना जाता है।
पवित्र तुलसी का उपयोग – घर में रखे दूध, दही और पानी में तुलसी पत्ता या कुश डालने की परंपरा है, जिससे ग्रहण के प्रभाव से इन्हें बचाया जा सके।
ग्रहण के बाद स्नान आवश्यक – ग्रहण समाप्त होने के बाद शुद्ध स्नान कर दान-पुण्य करने की परंपरा होती है।
कब लगेगा चंद्र ग्रहण?
इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को होगा, हालांकि यह भारत में दृश्यमान नहीं होगा। बावजूद इसके, धार्मिक दृष्टि से इसके नियम और प्रभावों का पालन करना आवश्यक माना जाता है।
होली के साथ चंद्र ग्रहण का संयोग एक दुर्लभ खगोलीय घटना है, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विशेष सावधानियां बरतने से नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।