होली 2025, जानें कब और कैसे मनाया जाएगा रंगों का सबसे बड़ा त्योहार

होली 2025, जानें कब और कैसे मनाया जाएगा रंगों का सबसे बड़ा त्योहार
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होली का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सौहार्द और भक्ति का प्रतीक भी है। भारत के विभिन्न हिस्सों में होली की अपनी अलग-अलग परंपराएँ हैं, लेकिन ब्रज की होली सबसे खास मानी जाती है। यहां का रंगोत्सव विश्व प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक हर साल मथुरा-वृंदावन पहुंचते हैं।

होली 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

होली 2025 की तिथि:

🔹 होलिका दहन: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)

🔹 धुलेंडी (रंग वाली होली): 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)

शुभ मुहूर्त:

🔹 होलिका दहन का शुभ समय: शाम 6:30 से रात 8:50 तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है)

ब्रज की होली: 40 दिनों तक चलता है उत्सव

ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, गोकुल) में होली का उत्सव बेहद भव्य होता है। यहाँ होली केवल एक-दो दिन नहीं, बल्कि पूरे 40 दिनों तक धूमधाम से मनाई जाती है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है और समापन रंग पंचमी के दिन होता है।

ब्रज की होली के प्रमुख आयोजन:

1️⃣ बरसाना की लठमार होली:

बरसाना में राधा जी के गाँव की महिलाएँ sticks (लाठी) से नंदगांव के गोपों को मारती हैं, इसे लठमार होली कहते हैं। यह अनोखा उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है।

2️⃣ नंदगांव की होली:

बरसाना के बाद नंदगांव में गोप बरसाना की गोपियों से रंग खेलने आते हैं, यह दृश्य बेहद मनोरम होता है।

3️⃣ फूलों की होली (वृंदावन):

रंगों की होली से पहले, वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण की विशेष आराधना करते हुए फूलों की होली खेली जाती है।

4️⃣ धूलिवंदन (गोपीनाथ मंदिर वृंदावन):

यहाँ पर विशेष रूप से गुलाल और अबीर उड़ाकर होली खेली जाती है, जो देखने लायक होती है।

5️⃣ रंग पंचमी:

यह होली के रंगोत्सव का अंतिम दिन होता है, जिसमें भक्त रंगों से सराबोर होकर श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम को स्मरण करते हैं।

भारत के अन्य प्रसिद्ध होली उत्सव

🔹 शांतिनिकेतन की होली: पश्चिम बंगाल में ‘बसंत उत्सव’ के रूप में मनाई जाती है।

🔹 राजस्थान की होली: मेवाड़ में शाही होली का आयोजन होता है।

🔹 पंजाब की होली: यहाँ ‘होला मोहल्ला’ के रूप में योद्धा परंपरा की होली मनाई जाती है।

🔹 बिहार की होली: यहाँ भांग और फागुनी गीतों के साथ मस्तीभरी होली खेली जाती है।

होली पर धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा

होली का पर्व भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, असुरराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। तब उसने अपनी बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) से प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा। लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।

होली के दिन किन उपायों से मिलेगी सुख-समृद्धि?

🔸 गुलाल और अबीर उड़ाकर ईष्ट देव को अर्पित करें।

🔸 होली के दिन विष्णु-लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक लाभ होगा।

🔸 किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र दान करें।

🔸 घर में केसर मिलाकर हल्दी का तिलक लगाएं, इससे भाग्य अच्छा होगा।

होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति, रंग और उल्लास का उत्सव है। 2025 में यह पर्व 13-14 मार्च को मनाया जाएगा और विशेष रूप से ब्रज की होली का रंग पूरी दुनिया में अपनी अलग छाप छोड़ता है। यदि आप भी इस बार कुछ खास अनुभव करना चाहते हैं, तो मथुरा-वृंदावन की ऐतिहासिक होली का आनंद लेना न भूलें।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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