होली 2025, रंगों और उल्लास से सराबोर फाल्गुनी महापर्व

होली 2025, रंगों और उल्लास से सराबोर फाल्गुनी महापर्व
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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला होली का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। 14 मार्च 2025 को यह पावन उत्सव पूरे देश में भाईचारे, प्रेम और रंगों की छटा बिखेरने के लिए जाना जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह परंपराओं, संस्कृतियों और आपसी सौहार्द का भी प्रतीक है।

होली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि धर्म और आस्था से भी जुड़ा हुआ पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन प्रह्लाद की भक्ति और श्रद्धा ने बुराई के प्रतीक हिरण्यकशिपु के अहंकार को परास्त किया था और होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई थी। इस दिन को अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में देखा जाता है। वहीं, वृंदावन और बरसाना में यह राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

देशभर में अनोखे अंदाज में मनाई जाती है होली

* भारत के हर क्षेत्र में होली का अलग अंदाज देखने को मिलता है।

* उत्तर प्रदेश में बरसाना और नंदगांव की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है, जहां महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां चलाकर उत्सव मनाती हैं।

* बिहार और झारखंड में होली को 'फगुआ' कहा जाता है, जहां पारंपरिक गीत और ढोलक की थाप पर होली खेली जाती है।

* बंगाल में यह उत्सव डोल यात्रा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें राधा-कृष्ण की मूर्तियों को झूले में विराजमान कर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

* राजस्थान में होली के दिन हाथियों की सवारी और लोक नृत्य के साथ पारंपरिक उत्सव देखने को मिलता है।

* महाराष्ट्र में इसे 'रंग पंचमी' के रूप में मनाया जाता है, जहां ढोल-ताशों की गूंज और रंगों की बौछार के बीच उल्लास का माहौल रहता है।

रंगों के साथ प्रेम और सौहार्द का संदेश

होली का मुख्य उद्देश्य लोगों को करीब लाना और पुराने गिले-शिकवे भूलाकर रिश्तों को मजबूत बनाना है। इस दिन लोग अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। बाजारों में गुजिया, मालपुआ, ठंडाई और अन्य पारंपरिक व्यंजनों की बहार रहती है।

होली पर करें ये शुभ कार्य

. सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।

. घर में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करें।

. होली खेलते समय प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे।

. बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और मिठाई खिलाकर आपसी प्रेम बढ़ाएं।

होली सिर्फ रंगों का पर्व नहीं, बल्कि आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ाने का अवसर भी है। इस दिन हर व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहना चाहिए और अपने परिवार, मित्रों और समाज के साथ मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। आप सभी को होली की ढेरों शुभकामनाएं!

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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