14 मार्च 2025, होली के साथ फाल्गुन मास का समापन, चैत्र माह की शुरुआत और नवरात्रि का पावन काल

सनातन धर्म में फाल्गुन मास को विशेष आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त है, और इस मास का समापन रंगों के महापर्व होली के साथ होता है। इस वर्ष होली 14 मार्च 2025 को धूमधाम से मनाई जाएगी, जिसके साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास का शुभारंभ होगा। चैत्र माह का आगमन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी मास में नवरात्रि का पावन पर्व पड़ता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक आराधना की जाती है। इस माह में व्रत, उपवास और पूजन-अर्चना करने से विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
होली के साथ फाल्गुन माह की पूर्णता
फाल्गुन मास हिंदू कैलेंडर का अंतिम माह होता है और इसे उत्सवों व उमंग का महीना कहा जाता है। यह मास भक्ति, उल्लास और उत्साह से भरा होता है, जिसका समापन रंगों की होली के साथ होता है। इस पर्व पर सभी गिले-शिकवे मिटाकर प्रेम और भाईचारे को अपनाने का संदेश दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होली का संबंध भक्त प्रह्लाद और भगवान नरसिंह अवतार से है, जिसने यह प्रमाणित किया कि भक्त की सच्ची श्रद्धा से कोई भी संकट समाप्त हो सकता है।
चैत्र माह का महत्व और शुभ आरंभ
चैत्र मास 15 मार्च 2025 से आरंभ हो रहा है, जो हिंदू नववर्ष का पहला महीना भी माना जाता है। इस माह को विशेष रूप से पवित्रता, साधना और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास में भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए यह सृजन और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
इस माह में नवरात्रि पर्व आता है, जो मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का विशेष काल होता है। चैत्र नवरात्रि में श्रद्धालु नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करते हैं, उपवास रखते हैं और विशेष पूजन करते हैं। यह समय आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि और देवी आराधना का महत्व
चैत्र माह में चैत्र नवरात्रि 2025 मनाई जाएगी, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान उपवास और भक्ति से देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां दुर्गा की उपासना करने से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति संभव होती है।
चैत्र माह में कौन-कौन से व्रत और त्योहार आते हैं?
चैत्र मास में धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण पर्व और व्रत आते हैं। इनमें मुख्य रूप से—
* चैत्र नवरात्रि: मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का विशेष समय।
* गुड़ी पड़वा और हिंदू नववर्ष: महाराष्ट्र और कई अन्य स्थानों पर इस दिन नववर्ष का उत्सव मनाया जाता है।
* राम नवमी: इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
* हनुमान जयंती: बजरंगबली के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
14 मार्च 2025 को होली के साथ फाल्गुन मास का समापन होगा और 15 मार्च 2025 से चैत्र मास का शुभारंभ होगा। इस माह का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है, क्योंकि यह हिंदू नववर्ष और नवरात्रि का महीना होता है। इस माह में व्रत-उपवास और देवी आराधना करने से विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है। भक्तों को इस पवित्र माह में अधिक से अधिक दान, जप, तप और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।