होली पर मारवाड़ी समाज की विशेष परंपरा, बड़कुल्ला पूजा का महत्व और विधि

होली पर मारवाड़ी समाज की विशेष परंपरा, बड़कुल्ला पूजा का महत्व और विधि
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होली केवल रंगों और उल्लास का पर्व ही नहीं है, बल्कि यह धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है। भारत के विभिन्न समुदायों में होली को अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाने की परंपरा है। विशेष रूप से मारवाड़ी समाज की महिलाएं इस अवसर पर ‘बड़कुल्ला पूजा’ करती हैं, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस पूजा की जड़ें प्राचीन परंपराओं से जुड़ी हुई हैं और यह सामाजिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।

बड़कुल्ला पूजा का महत्व

मारवाड़ी समाज में मान्यता है कि यह पूजा जीवन से नकारात्मकता को दूर करने और समृद्धि लाने के लिए की जाती है। बड़कुल्ला, जिसे प्रतीकात्मक रूप से एक पुतले के रूप में तैयार किया जाता है, बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं सामूहिक रूप से इस पुतले की पूजा कर अपने परिवार की खुशहाली और सुख-शांति की कामना करती हैं। इस अनुष्ठान का एक प्रमुख संदेश यह भी है कि बुराई का अंत निश्चित है और अंततः सत्य और अच्छाई की जीत होती है।

कैसे की जाती है बड़कुल्ला पूजा?

इस पूजा को करने की विधि बहुत ही सरल लेकिन विशिष्ट होती है:

* बड़कुल्ला का निर्माण – पहले एक छोटे पुतले का निर्माण किया जाता है, जिसे नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का प्रतीक माना जाता है।

* सामूहिक पूजा – महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर एकत्र होती हैं और बड़कुल्ला की विधिवत पूजा करती हैं।

* आरती और मंगल गीत – इस दौरान मंगल गीत गाए जाते हैं और देवी-देवताओं से सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

* अग्नि समर्पण – अंत में बड़कुल्ला को जलाकर यह संकेत दिया जाता है कि बुरी शक्तियां हमेशा नष्ट होती हैं और सत्य की विजय होती है।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

बड़कुल्ला पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। यह महिलाओं को एक साथ लाकर सामूहिकता की भावना को मजबूत करता है और समाज में सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है। इस परंपरा के माध्यम से नई पीढ़ी को भी यह सिखाया जाता है कि अच्छाई की हमेशा जीत होती है और हमें अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर रखना चाहिए।

बड़कुल्ला पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्ध परंपराओं को भी दर्शाती है। होली के अवसर पर मारवाड़ी समाज की यह विशेष पूजा बुराई के अंत और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के आगमन का प्रतीक है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी समाज में इसे पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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