होलिका दहन 2025, भद्रा के 13 घंटे के प्रभाव के बीच जानें शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि

होलिका दहन हिंदू धर्म का एक प्रमुख अनुष्ठान है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस बार होलिका दहन के दिन विशेष खगोलीय संयोग बन रहा है, जिसमें भद्रा का प्रभाव 13 घंटे तक रहेगा। ऐसे में भक्तों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि होलिका दहन का सबसे शुभ समय क्या होगा और भद्रा के दौरान दहन करना कितना उचित रहेगा।
भद्रा का प्रभाव और इसकी मान्यता
भद्रा को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है, विशेष रूप से होलिका दहन जैसे अनुष्ठान के दौरान। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, भद्रा के समय किसी भी शुभ कार्य को करना अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यही कारण है कि इस बार लोग होलिका दहन के सही मुहूर्त को लेकर असमंजस में हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2025
इस साल होलिका दहन के लिए सबसे उत्तम समय भद्रा समाप्त होने के बाद रहेगा। पंचांग के अनुसार, होलिका दहन के लिए विशेष मुहूर्त रात के समय होगा, जब भद्रा का प्रभाव समाप्त हो जाएगा। होलिका दहन का सही समय जानने के लिए स्थानीय पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं को ध्यान में रखना आवश्यक होगा।
होलिका दहन की सही विधि
* पूर्व या उत्तर दिशा में लकड़ियों का ढेर लगाएं और उसके चारों ओर गोबर से लीपकर पवित्र स्थान बनाएं।
* गंगाजल और हल्दी मिश्रित जल का छिड़काव करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो सके।
* कच्चा सूत (धागा) लपेटें और होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें।
* गुड़, नारियल, गेंहू और कंडे अर्पित करें और समर्पित भाव से होलिका दहन करें।
* परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें और जलते हुए अंगारों की राख को तिलक के रूप में लगाएं।
भद्रा के दौरान होलिका दहन करने से बचें
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यदि भद्रा का प्रभाव हो तो इस दौरान होलिका दहन करने से वंचित रहना चाहिए। यदि किसी कारणवश भद्रा काल में ही दहन करना पड़े तो किसी अनुभवी पुरोहित से परामर्श अवश्य लें और विशेष मंत्रों का जाप करें।
होलिका दहन का महत्व तभी पूर्ण होता है जब इसे सही समय और विधि से किया जाए। इस वर्ष भद्रा का प्रभाव 13 घंटे तक रहेगा, इसलिए भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका दहन करना शुभ रहेगा। इस पावन पर्व को सही विधि से मनाकर जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का स्वागत करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।