IITian से संन्यासी तक, महाकुंभ में वायरल हो रहे ‘बैरागी बाबा’ की अनसुनी कहानी
- In मुख्य समाचार 17 Jan 2025 11:59 AM IST
महाकुंभ 2025 में इस बार एक अनोखी शख्सियत सुर्खियों में बनी हुई है—‘IITian बाबा’। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें और वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं, और श्रद्धालु उनके जीवन की अनोखी कहानी जानने के लिए उत्सुक हैं। किसी समय में एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले इस शख्स ने कनाडा की आलीशान ज़िंदगी और मोटी सैलरी को छोड़कर संन्यास का मार्ग अपना लिया। आखिर क्या थी वह वजह, जिसने एक उच्च शिक्षित व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं से विमुख कर दिया? खुद ‘बैरागी बाबा’ ने एक इंटरव्यू में अपनी जीवन यात्रा साझा की।
IIT से इंटरनेशनल कंपनी तक का सफर
बैरागी बाबा, जो कभी एक सामान्य युवक थे, ने भारत के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) से पढ़ाई की। उनकी काबिलियत और मेहनत ने उन्हें सीधे कनाडा की एक प्रसिद्ध टेक कंपनी में शानदार नौकरी दिलाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह सालाना करोड़ों की सैलरी कमाते थे और उनके पास सभी भौतिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध थीं। लेकिन उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली, और यहीं से उनके जीवन में एक नया मोड़ आया।
भौतिक जीवन से मोहभंग, अध्यात्म की ओर रुझान
IITian बाबा ने इंटरव्यू में बताया कि हालांकि उनके पास पैसा, शोहरत और एक शानदार लाइफस्टाइल थी, लेकिन भीतर से वे खाली महसूस कर रहे थे। ऑफिस की भागदौड़ और तकनीक की दुनिया में रहकर भी उन्हें अपने अस्तित्व का वास्तविक अर्थ नहीं मिल रहा था। धीरे-धीरे, उन्होंने आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन शुरू किया और ध्यान एवं योग में रुचि लेने लगे। कुछ वर्षों तक इस आंतरिक द्वंद्व से जूझने के बाद, उन्होंने अपने कॉर्पोरेट करियर को हमेशा के लिए अलविदा कहने का फैसला किया।
संन्यास का निर्णय और साधु जीवन की शुरुआत
अपने भीतर चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए उन्होंने कनाडा की नौकरी छोड़ दी और भारत लौट आए। यहां आकर उन्होंने कई आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा की, हिमालय में रहकर साधना की और अंततः संन्यास ग्रहण कर लिया। अब वे ‘बैरागी बाबा’ के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने भौतिक सुखों को त्यागकर अध्यात्म की राह अपना ली।
महाकुंभ में बढ़ रही लोकप्रियता
महाकुंभ 2025 के दौरान, जब लोग अलग-अलग अखाड़ों और संन्यासियों से मिल रहे थे, तभी ‘IITian बाबा’ की कहानी ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। एक अत्याधुनिक दुनिया से निकलकर संन्यासी बनने वाले इस युवा बाबा की प्रेरणादायक यात्रा लोगों के लिए आश्चर्य और प्रेरणा का विषय बन गई। श्रद्धालु उनके पास जाकर ज्ञान की बातें सुन रहे हैं और उनसे जीवन की गहरी समझ प्राप्त कर रहे हैं।
संन्यास की प्रेरणा और संदेश
बाबा का मानना है कि सच्ची शांति बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे भीतर है। वे कहते हैं, "मैंने करोड़ों की नौकरी छोड़ी, लेकिन बदले में जो आत्मिक संतोष और आनंद मिला, वह अनमोल है।" उनका संदेश है कि धन और सफलता महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जीवन में सच्चा संतोष केवल आंतरिक शांति से ही प्राप्त होता है।
‘IITian बाबा’ की यह कहानी आधुनिक जीवन और आध्यात्मिकता के बीच के संतुलन को दर्शाती है। जहां एक ओर दुनिया तेजी से भौतिकता की ओर बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी आत्मा की पुकार सुनकर संन्यास का मार्ग भी अपना रहे हैं। महाकुंभ में वायरल हो रहे इस बाबा की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या असली सफलता सिर्फ पैसा और प्रसिद्धि है, या फिर आंतरिक शांति और आत्मज्ञान?
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।