8 फरवरी 2025 रवि योग में जया एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और नियम
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हिंदू पंचांग के अनुसार, जया एकादशी का व्रत हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष जया एकादशी का पर्व 8 फरवरी 2025, शनिवार को रवि योग के विशेष संयोग में मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे रखने से पापों से मुक्ति, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रवि योग के प्रभाव से इस एकादशी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
जया एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी 2025, शुक्रवार को रात 09:42 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 8 फरवरी 2025, शनिवार को रात 08:56 बजे
व्रत पारण का समय: 9 फरवरी 2025, रविवार को सुबह 07:00 बजे से 09:15 बजे तक
रवि योग का विशेष महत्व:इस बार जया एकादशी पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। रवि योग को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस योग में किए गए व्रत, पूजा, जप-तप और दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
जया एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व:
1. जया एकादशी का व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
2. यह व्रत विशेष रूप से आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
3. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से प्रेत योनि और नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिलती है।
4. विष्णु पुराण के अनुसार, जया एकादशी व्रत के पुण्य से व्यक्ति स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है।
जया एकादशी व्रत की पूजा विधि:
* प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
* भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा आरंभ करें।
* पीले फूल, तुलसी पत्र, चंदन, धूप-दीप और फल-फूल अर्पित करें।
* विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तोत्र या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें।
* दिनभर व्रत रखें और निर्जला व्रत का पालन करने का प्रयास करें। यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे तो फलाहार कर सकते हैं।
* रात्रि जागरण (जागरण) करें और भजन-कीर्तन में समय बिताएं।
जया एकादशी व्रत के नियम:
1. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वाणी और कर्म से पवित्र रहें।
2. झूठ बोलने, क्रोध करने और नकारात्मक विचारों से बचें।
3. मांसाहार, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करें।
4. किसी भी प्राणी को कष्ट न दें और दान-पुण्य अवश्य करें।
पौराणिक कथा (व्रत कथा):पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वर्ग में गंधर्व族 के माल्यवान और पुष्पवती ने एक बार इंद्रसभा में नृत्य करते समय अनुशासन का उल्लंघन किया। क्रोधित होकर इंद्रदेव ने उन्हें शाप देकर प्रेत योनि में भेज दिया। अनेक वर्षों तक प्रेत योनि में भटकने के बाद, माल्यवान और पुष्पवती ने माघ शुक्ल एकादशी का व्रत किया, जिससे वे अपने शाप से मुक्त होकर पुनः अपने दिव्य स्वरूप में लौट आए। तभी से जया एकादशी व्रत को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
जया एकादशी का व्रत आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष रवि योग के संयोग में यह व्रत और भी अधिक फलदायी रहेगा। यदि श्रद्धा, भक्ति और नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को किया जाए, तो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास अवश्य होता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |