जूना अखाड़े की पंचकोशी परिक्रमा, आध्यात्मिकता और परंपरा का अनोखा संगम
- In मुख्य समाचार 21 Jan 2025 12:55 PM IST
गंगा पूजन के साथ पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत
जूना अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने सोमवार को अपने निर्धारित समय पर गंगा पूजन के साथ पवित्र पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत कर दी। यह परिक्रमा 5 दिनों तक चलेगी और इसके समापन पर भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस परिक्रमा में नागा साधुओं, महामंडलेश्वरों और अन्य संतों की विशेष भागीदारी देखने को मिलेगी। परिक्रमा के अंतिम दिन अखाड़े द्वारा एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अखाड़े के साधुओं के साथ आम श्रद्धालुओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।
पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक महत्व
1. पंचकोशी परिक्रमा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखती है। इसे पांच पवित्र स्थलों की परिक्रमा के रूप में देखा जाता है, जो मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। जूना अखाड़ा, जो कि भारत का सबसे बड़ा और प्राचीन अखाड़ा है, इस परिक्रमा को हर साल पारंपरिक रूप से आयोजित करता है।
2. गंगा नदी के पवित्र तट पर साधुओं का गंगा पूजन न केवल धार्मिक क्रियाओं का हिस्सा है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के बीच के संबंधों को भी उजागर करता है। साधु-संत इस परिक्रमा के दौरान आत्मा की शुद्धि, ध्यान और तपस्या पर जोर देते हैं।
परिक्रमा का आयोजन और प्रक्रिया
परिक्रमा की शुरुआत गंगा तट पर विधिवत पूजन और आरती से हुई। साधुओं ने गंगा मैया का आह्वान करते हुए भक्ति भाव से परिक्रमा का शुभारंभ किया।
1. पहला दिन: परिक्रमा के पहले दिन साधु गंगा किनारे स्थित प्राचीन मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और सत्संग आयोजित करते हैं।
2. दूसरा और तीसरा दिन: इन दिनों में पंचकोशी क्षेत्र के विभिन्न पवित्र स्थलों की यात्रा की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा स्नान, ध्यान और भजन-कीर्तन में हिस्सा लेते हैं।
3. चौथा और पांचवां दिन: परिक्रमा के अंतिम चरण में अखाड़े के साधु विशेष यज्ञ और हवन करते हैं। यह यज्ञ विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य से किया जाता है।
विशाल भंडारे का आयोजन
पंचकोशी परिक्रमा के समापन पर अखाड़े द्वारा एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस भंडारे में अखाड़े के नागा साधु, महामंडलेश्वर, अन्य संत और आम श्रद्धालु भाग लेंगे। यह भंडारा न केवल भोजन का आयोजन है, बल्कि यह साधुओं और आम जनता के बीच सामूहिकता और समानता का संदेश भी देता है। भंडारे के दौरान पारंपरिक भोजन परोसा जाएगा, और इसे पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ तैयार किया जाएगा।
आध्यात्मिकता और आस्था का संगम
जूना अखाड़े की पंचकोशी परिक्रमा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। इस आयोजन में भाग लेने वाले साधु और श्रद्धालु ध्यान, पूजा और भक्ति के माध्यम से अपने जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं।
जूना अखाड़े की पंचकोशी परिक्रमा धार्मिकता, परंपरा और आध्यात्मिकता का अनुपम उदाहरण है। 5 दिनों तक चलने वाली यह परिक्रमा न केवल साधुओं के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी विशेष महत्व रखती है। गंगा पूजन से लेकर विशाल भंडारे तक, यह आयोजन भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई को प्रदर्शित करता है। इस आयोजन में भाग लेकर श्रद्धालु आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति का अनुभव करते हैं।
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