कामदा एकादशी 2025 व्रत आज मंगलवार को, जानें तिथि, नक्षत्र, भद्रा और पूजा का महत्व

कामदा एकादशी 2025 व्रत आज मंगलवार को, जानें तिथि, नक्षत्र, भद्रा और पूजा का महत्व
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8 अप्रैल 2025 को आस्था और उपासना का पावन संगम देखने को मिलेगा, क्योंकि इस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत रखा जा रहा है, जिसे कामदा एकादशी के रूप में जाना जाता है। यह तिथि जीवन के पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति का अद्वितीय अवसर मानी जाती है। मान्यता है कि कामदा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

एकादशी तिथि और नक्षत्रों की स्थिति

पंचांग के अनुसार, 8 अप्रैल को एकादशी तिथि रात 9 बजकर 14 मिनट तक प्रभावी रहेगी। यह संपूर्ण दिन व्रत-पूजन के लिए शुभ माना गया है। दिन की शुरुआत अश्लेषा नक्षत्र के साथ होगी, जो कि सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इसके बाद मघा नक्षत्र का प्रभाव आरंभ हो जाएगा, जो जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा के संचार को और अधिक सशक्त बनाता है।

भद्रा काल का संयोग

आज के दिन सुबह 8 बजकर 38 मिनट से पृथ्वी लोक में भद्रा का प्रवेश होगा। भद्रा काल में मांगलिक कार्यों की मनाही होती है, लेकिन एकादशी व्रत और ईश्वर आराधना जैसे धार्मिक कार्य इस काल में भी निष्कलंक माने जाते हैं। अतः व्रती इस समय के प्रभाव से भयभीत न हों और पूरे दिन भगवान विष्णु की उपासना में लीन रहें।

कामदा एकादशी का महत्व

कामदा एकादशी को अत्यंत फलदायक और पुण्यदायिनी माना गया है। "कामदा" शब्द का अर्थ है—इच्छाओं को पूर्ण करने वाली। इस व्रत के विषय में धर्म ग्रंथों में वर्णन है कि यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए कल्याणकारी होता है जो अपने जीवन में किसी विशेष अभिलाषा को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वह संतान प्राप्ति हो, सुख-समृद्धि की कामना हो या पापों से मुक्ति की इच्छा—इस दिन भगवान विष्णु की पूजा समस्त कष्टों को हर लेती है।

व्रत एवं पूजा विधि

व्रती को प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले वस्त्र पहनाएं और उन्हें तुलसी, पीले फूल, फल और पंचामृत अर्पित करें।

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।

रात्रि को जागरण करें और अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें।

कामदा एकादशी व्रत आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। यह न केवल धर्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत फलदायक मानी जाती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन के अनेक संकट दूर हो सकते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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