काशी की अनोखी परंपरा, चिता भस्म से खेली जाने वाली 'मसान होली' का अद्भुत नजारा

काशी की अनोखी परंपरा, चिता भस्म से खेली जाने वाली मसान होली का अद्भुत नजारा
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काशी, जिसे भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, अपनी अनूठी परंपराओं और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ होली का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है, जिसे ‘मसान होली’ के नाम से जाना जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।

क्या है 'मसान होली' और क्यों खेली जाती है?

‘मसान होली’ का आयोजन बनारस के मणिकर्णिका घाट पर किया जाता है, जो हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र श्मशान स्थल माना जाता है। यह पर्व महा श्मशान और भगवान शिव के वैराग्य स्वरूप से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि महादेव के प्रिय शहर में मृत्यु भी एक उत्सव के रूप में देखी जाती है, और इसी कारण यहां रंग-गुलाल की जगह चिता की राख से होली खेली जाती है।

भगवान शिव स्वयं एक योगी हैं, जो श्मशान में निवास करने वाले, भूत-प्रेतों के स्वामी और मृत्यु के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी इसी तंत्र साधना से प्रेरित होकर काशीवासी मृत्यु के प्रतीक चिता-भस्म से होली खेलते हैं। यह न केवल शिव की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि जीवन और मृत्यु के चक्र को भी दर्शाता है।

मसान होली का दिव्य और रहस्यमयी नजारा

‘मसान होली’ के दौरान काशी में भक्तों और साधु-संतों का बड़ा जमावड़ा लगता है। चारों ओर भजन-कीर्तन और शिव के जयकारों की गूंज सुनाई देती है। अघोरी और साधु चिता भस्म को अपने शरीर पर लगाकर महादेव की आराधना करते हैं। ढोल-नगाड़ों की धुन पर भक्त नाचते-गाते हैं, और पूरा माहौल एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।

शवदाह स्थलों के बीच होने वाले इस आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक काशी आते हैं। यह दृश्य देखने में जितना रहस्यमयी होता है, उतना ही भक्तिमय और भावनात्मक रूप से गहरे स्तर पर जुड़ने वाला होता है।

मसान होली की मान्यताएँ और महत्व

इस विशेष होली से जुड़े कई धार्मिक और तांत्रिक महत्व भी हैं:

मृत्यु का उत्सव: मसान होली यह संदेश देती है कि मृत्यु भी जीवन का एक उत्सव है और इसे भय के रूप में नहीं बल्कि एक यात्रा के रूप में देखना चाहिए।

शिव की आराधना: इसे खेलकर भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं, क्योंकि वे स्वयं श्मशानवास करते हैं और इस जगह को पवित्र मानते हैं।

नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि इस दिन चिता भस्म को लगाने से जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और आत्मा को आध्यात्मिक शांति मिलती है।

भूतभावन महादेव की कृपा: शिव के गण और भूत-प्रेत भी इस पर्व में शामिल होते हैं, जिससे भक्तों पर महादेव की विशेष कृपा बनी रहती है।

कैसे की जाती है मसान होली की तैयारी?

होली से पहले ही इस आयोजन की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। विशेष पूजा-अर्चना, हवन, और शिव भक्ति गीतों के माध्यम से श्रद्धालु खुद को इस अनूठे उत्सव के लिए तैयार करते हैं। मणिकर्णिका घाट पर भक्तों और साधु-संतों की टोली जुटती है, और वहां शिव की भक्ति में लीन होकर चिता भस्म को एक-दूसरे पर लगाया जाता है।

काशी की मसान होली न केवल एक परंपरा है, बल्कि जीवन, मृत्यु और मोक्ष के दर्शन को समझने का एक गहरा आध्यात्मिक माध्यम भी है। यह अनोखी होली शिव की असीम भक्ति और काशीवासियों की आस्था का प्रतीक है। यह पर्व मृत्यु को भी महोत्सव के रूप में देखने की दृष्टि देता है और जीवन के नश्वर स्वरूप की याद दिलाता है। जो लोग इसे देखना चाहते हैं, उन्हें एक बार बनारस की इस रहस्यमयी और भक्तिमय होली का अनुभव अवश्य करना चाहिए।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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