कुंभ मेला 2027, नासिक में होगा अगला महाकुंभ, जानें इसके बाद कहां और कब होंगे कुंभ आयोजन

हिंदू धर्म में कुंभ मेला का विशेष महत्व है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है। हर 12 वर्षों में चार प्रमुख तीर्थस्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में इसका आयोजन होता है। अब अगला कुंभ मेला 2027 में महाराष्ट्र के नासिक में त्र्यंबकेश्वर के पवित्र स्थल पर आयोजित किया जाएगा।
इसके बाद 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ और फिर 2030 में प्रयागराज में अर्धकुंभ का भव्य आयोजन किया जाएगा। आइए जानते हैं इन आयोजनों के बारे में विस्तार से।
📍 कुंभ मेला 2027: नासिक में त्र्यंबकेश्वर पर होगा भव्य आयोजन
महाराष्ट्र का नासिक कुंभ मेला 2027 एक विशेष धार्मिक आयोजन होगा, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु स्नान और पूजा-पाठ के लिए पहुंचेंगे। नासिक कुंभ का आयोजन गोदावरी नदी के तट पर त्र्यंबकेश्वर और रामकुंड क्षेत्र में होता है।
🔹 प्रमुख विशेषताएँ:
यह कुंभ मेला ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति में आयोजित किया जाता है।
श्रद्धालु गोदावरी नदी में स्नान कर पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद लेते हैं।
यहाँ के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है, जिसे भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
इस दौरान अखाड़ों का शाही स्नान, संत-महात्माओं का प्रवचन और विशाल धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
📍 कुंभ मेला 2028: उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन
नासिक कुंभ 2027 के बाद, 2028 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित होगा। यह आयोजन शिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास किया जाता है।
🔹 उज्जैन सिंहस्थ कुंभ का महत्व:
शिप्रा नदी में स्नान को मोक्षदायक और पुण्यदायी माना गया है।
इस दौरान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है।
यहाँ संत-महात्माओं के प्रवचन, धार्मिक अनुष्ठान, मंत्र जाप और यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
उज्जैन को कालगणना (समय की गणना) का केंद्र माना जाता है, जिससे इसका विशेष ज्योतिषीय महत्व भी है।
📍 अर्धकुंभ 2030: प्रयागराज में संगम तट पर भव्य आयोजन
2030 में प्रयागराज में अर्धकुंभ मेला आयोजित होगा, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ के लिए स्नान करेंगे।
🔹 प्रयागराज अर्धकुंभ का महत्व:
यहाँ गंगा-यमुना संगम में डुबकी लगाने से जीवन के समस्त पाप नष्ट होने की मान्यता है।
प्रयागराज का कुंभ चारों कुंभ मेलों में सबसे बड़ा और भव्य होता है।
यहाँ शाही स्नान, साधु-संतों का प्रवचन और विविध आध्यात्मिक गतिविधियाँ देखने को मिलती हैं।
संगम नगरी को तीर्थराज (सभी तीर्थों का राजा) भी कहा जाता है।
कुंभ मेले की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ था। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में अमृत की बूंदें गिराई थीं। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
कुंभ में स्नान से व्यक्ति को मोक्ष और आत्मशुद्धि का लाभ मिलता है। यह धार्मिक आयोजन श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है और भारतीय संस्कृति एवं आस्था का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता है।
कुंभ मेला 2027 में नासिक, 2028 में उज्जैन और 2030 में प्रयागराज में आयोजित होगा। यह धार्मिक आयोजन भारतीय संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम होता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु आकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। कुंभ का हर आयोजन ऐतिहासिक और भव्य होता है, जिससे यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक बन चुका है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।