महाकुंभ 2025, दूसरे अमृत स्नान पर त्रिग्रही योग का दुर्लभ संयोग, जानें इसका महत्व और खास बातें
- In मुख्य समाचार 18 Jan 2025 2:55 PM IST
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में पूरे भक्तिभाव और भव्यता के साथ हो रहा है। इस बार महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान के दिन दुर्लभ **त्रिग्रही योग** बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बना देता है। यह योग तब बनता है जब तीन प्रमुख ग्रह एक ही राशि में स्थित होते हैं, और इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व होता है। इस शुभ संयोग के दौरान स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, और भक्तों का जीवन समृद्धि और शांति से भर जाता है।
आइए जानते हैं इस महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान की विशेषताएं, त्रिग्रही योग का महत्व और इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य।
महाकुंभ का धार्मिक महत्व
महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह हर 12 वर्षों में एक बार होता है और चार पवित्र स्थलों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक) में आयोजित किया जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करते हैं। महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान, जो माघ पूर्णिमा के अवसर पर होता है, बेहद खास माना जाता है। इस दिन त्रिग्रही योग का संयोग इसे और भी शुभ बनाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
त्रिग्रही योग का महत्व
त्रिग्रही योग तब बनता है जब तीन प्रमुख ग्रह (सूर्य, चंद्र और गुरु) एक ही राशि में स्थित होते हैं। यह दुर्लभ खगोलीय घटना ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक शुभ मानी जाती है। इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, सफलता और समृद्धि लाने वाला होता है। महाकुंभ 2025 में, यह योग अमृत स्नान के दिन बन रहा है, जो भक्तों के लिए एक अद्वितीय अवसर है। मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, जैसे गंगा स्नान, दान, और ध्यान, कई गुना अधिक फलदायी होते हैं।
दूसरे अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त
-स्नान की शुरुआत: 24 फरवरी 2025 की सुबह 5:30 बजे
- समाप्ति: 24 फरवरी 2025 की रात 11:45 बजे
इस दौरान संगम में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं।
इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य
1. संगम में पवित्र स्नान
दूसरे अमृत स्नान पर संगम में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. दान और सेवा कार्य
महाकुंभ के इस शुभ दिन पर अन्नदान, वस्त्रदान और गौदान का अत्यधिक महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना पुण्य का सबसे बड़ा कार्य माना गया है। साथ ही, इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और धार्मिक ग्रंथों का पाठ कराने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
3. साधना और ध्यान
त्रिग्रही योग के दौरान साधना, ध्यान और मंत्रजप करना आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी होता है। इस दिन भगवान विष्णु, देवी गंगा और भगवान शिव की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाकुंभ 2025 की विशेष तैयारियां
प्रयागराज में इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं।
1. सुरक्षा: लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हजारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
2. स्वच्छता: गंगा और संगम क्षेत्र की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
3. स्वास्थ्य सेवाएं: श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई अस्थायी अस्पताल और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाए गए हैं।
4. आवास और भोजन: श्रद्धालुओं के लिए विशेष टेंट सिटी और भोजन के इंतजाम किए गए हैं।
महाकुंभ और त्रिग्रही योग: भक्तों के लिए एक दुर्लभ अवसर
महाकुंभ 2025 का यह दूसरा अमृत स्नान, त्रिग्रही योग के साथ, भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर दिन होगा। यह दिन धर्म, भक्ति और पुण्य कमाने का एक दुर्लभ अवसर है। श्रद्धालुओं के लिए यह समय न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान का है, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का भी है। इस दिन की गई छोटी-सी भी पूजा या सेवा जीवन में बड़ी सकारात्मकता लाने में सक्षम है। महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान, त्रिग्रही योग के कारण अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण है। यह अवसर भक्तों को उनके आध्यात्मिक और धार्मिक जीवन को संवारने का अनोखा मौका प्रदान करता है। ऐसे में, सभी श्रद्धालुओं को इस विशेष दिन का लाभ उठाने के लिए प्रयागराज के संगम में स्नान, दान और साधना करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। यह दिन केवल धर्म और पुण्य का नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर कदम बढ़ाने का भी प्रतीक है।
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