महाकुंभ 2025 12 फरवरी को पूर्ण होगा कल्पवास, संगम स्नान के साथ साधकों का तप संपन्न
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आस्था और तपस्या का महापर्व
महाकुंभ 2025 में 12 फरवरी का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन संगम तट पर कल्पवास कर रहे हजारों साधक और श्रद्धालु अपना पवित्र कल्पवास पूर्ण करेंगे। श्रद्धालु पावन त्रिवेणी संगम में स्नान कर, विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अपनी साधना का समापन करेंगे। यह दिन उनके लिए आस्था, तप और संयम के माह भर चले कठोर व्रत का अंतिम चरण है।
क्या है कल्पवास?
कल्पवास एक अत्यंत कठिन और अनुशासनपूर्ण साधना है, जिसमें श्रद्धालु एक माह तक गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम के तट पर निवास करते हैं। इस अवधि में वे कठोर नियमों का पालन करते हुए भोग-विलास से दूर रहकर तप, ध्यान, जप और दान-पुण्य के कार्यों में लीन रहते हैं। माना जाता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संगम स्नान: आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक
आज के दिन कल्पवासी प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाएंगे। यह स्नान न केवल शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्ति का भी माध्यम है। स्नान के बाद साधक विशेष पूजन, हवन, और धर्म-कर्म के कार्यों के माध्यम से अपने संकल्प को पूर्ण करेंगे।
कल्पवास के प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान:
1. त्रिवेणी संगम में स्नान: आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की कामना के साथ पवित्र डुबकी।
2. हवन और यज्ञ: अग्नि में आहुति देकर नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान।
3. दान-पुण्य: ब्राह्मणों, साधु-संतों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान।
4. साधना और ध्यान: शांत वातावरण में बैठकर मंत्र जाप और ध्यान के माध्यम से आत्मिक शांति की प्राप्ति।
5. विशेष पूजा: गंगा माता और ईष्ट देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना।
आध्यात्मिक लाभ और महत्व:
कल्पवास पूर्ण करने से साधक के जीवन में मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और आध्यात्मिक जागरूकता का संचार होता है। यह साधना जीवन में संयम, धैर्य, और सत्कर्मों की प्रेरणा देती है। साथ ही, माना जाता है कि कल्पवास के दौरान किए गए पुण्य कार्यों का फल अनेक जन्मों तक मिलता है।
महाकुंभ 2025 में 12 फरवरी का दिन उन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने एक महीने तक तप, त्याग और साधना के मार्ग पर चलते हुए कल्पवास किया। संगम स्नान और पूजा के साथ उनके संकल्प की पूर्णता न केवल उनके आध्यात्मिक जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी, बल्कि यह समाज के लिए भी धर्म, आस्था और मानवता का संदेश लेकर आएगी।
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