महाकुंभ 2025 समापन की ओर बढ़ रहा आस्था का महासंगम, जानिए अंतिम स्नान की तिथि और महत्व
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13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन शुरू हुआ भव्य महाकुंभ अब अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। इस पवित्र आयोजन में अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। सनातन धर्म में कुंभ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है, मान्यता है कि कुंभ मेले में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
📌 कब है महाकुंभ 2025 का अंतिम शाही स्नान?
🔹 अंतिम शाही स्नान तिथि: 26 फरवरी 2025 (फाल्गुन अमावस्या)
🔹 स्थान: प्रयागराज संगम तट
🔹 महत्व: इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में फाल्गुन अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
📌 महाकुंभ 2025: अब तक का भव्य आयोजन
✅ 57 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
✅ देश-विदेश से पहुंचे संत-महात्मा और श्रद्धालु
✅ धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और प्रवचन जारी
✅ विशेष दान और सेवा कार्यों का आयोजन
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का महासंगम होता है। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है, जहां विभिन्न अखाड़ों के संत, सन्यासी और भक्तगण एक साथ संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
📌 महाकुंभ स्नान का धार्मिक महत्व
🔹 पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति
🔹 देवताओं की कृपा प्राप्ति
🔹 ग्रह दोष और पितृ दोष से मुक्ति
🔹 आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा
ऐसा माना जाता है कि कुंभ में स्नान करने से देवता प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। विशेष रूप से अंतिम स्नान का महत्व अधिक बताया गया है, क्योंकि यह मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है।
📌 संगम स्नान के दौरान कैसे करें देवताओं को प्रसन्न?
1️⃣ प्रातः काल स्नान: सूर्योदय से पहले स्नान करना अधिक शुभ माना जाता है।
2️⃣ संकल्प लें: स्नान से पहले देवताओं और पितरों को प्रसन्न करने का संकल्प करें।
3️⃣ मंत्र जाप करें: स्नान के दौरान "ॐ नमः शिवाय", "ॐ विष्णवे नमः" और "ॐ गंगे च यमुने चैव" मंत्र का जाप करें।
4️⃣ दान करें: स्नान के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
5️⃣ भगवान शिव और श्री हरि विष्णु की पूजा करें: जल अर्पण करें और दीप जलाकर प्रार्थना करें।
📌 महाकुंभ 2025 का समापन और आध्यात्मिक संदेश
महाकुंभ केवल स्नान का पर्व नहीं, बल्कि जीवन में आध्यात्मिक जागरण और धर्म के प्रचार-प्रसार का अवसर भी है। इस महोत्सव से प्रेरणा लेते हुए हमें सदाचार, परोपकार और धार्मिक कर्मों का पालन करना चाहिए।
26 फरवरी 2025 को महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान महापुण्यदायक होगा, इसलिए इस पावन अवसर का लाभ उठाकर संगम में डुबकी लगाएं और जीवन को शुभता और शांति की ओर अग्रसर करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।