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महाकुंभ में दूसरा शाही स्नान, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का विशिष्ट महत्व

महाकुंभ में दूसरा शाही स्नान, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का विशिष्ट महत्व

महाकुंभ मेला: दूसरा शाही स्नान...PS

महाकुंभ मेला: दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को

महाकुंभ मेला हर बार अपनी विशेषता के लिए दुनिया भर में चर्चित होता है, और इस बार 29 जनवरी को आयोजित होने वाला दूसरा शाही स्नान और भी विशेष माना जा रहा है। यह दिन सिर्फ महाकुंभ के महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि मौनी अमावस्या के खास मौके पर आने के कारण भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन श्रद्धालु अपनी पवित्रता को बढ़ाने के लिए गंगा में स्नान करने के लिए जुटेंगे।

मौनी अमावस्या का महत्व: एक अद्भुत अवसर

मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है, जिसे माघी या माघ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन को पुण्य फल देने वाला माना जाता है और यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य, चंद्रमा और बुध ग्रह के विशेष संयोग से संजीवनी शक्ति मिलती है। संत-महात्मा भी इस दिन मौन व्रत रखते हैं और अपने आध्यात्मिक अभ्यास में संलिप्त रहते हैं।

त्रिवेणी योग: दुर्लभ खगोलीय संयोग

29 जनवरी को इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में एक त्रिवेणी योग बना रहे हैं। यह खगोलीय संयोग विशेष रूप से दुर्लभ है और इसे विशेष रूप से फलदायक माना जाता है। इन ग्रहों का संयोग श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से एक अमृत स्नान के समान है, जहां उन्हें न केवल शारीरिक शुद्धि बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति भी होती है।

क्यों है यह स्नान इतना विशेष?

मौनी अमावस्या का दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर होता है, और इस दिन किए गए स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से, जब इस दिन ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग बनता है, तो यह अवसर अधिक फलदायक हो जाता है। महाकुंभ मेला में लाखों लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं और आत्मा की शांति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान का आयोजन 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के साथ होने वाला है, जो इसे इस वर्ष के सबसे खास और शुभ अवसरों में से एक बना देता है। इस दिन के महत्व को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में भी समझा जा सकता है। यह एक ऐसा दिन होगा जब करोड़ों लोग एक साथ मिलकर अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करेंगे।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |

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