महाकुंभ में IITian बाबा की मुश्किलें, जूना अखाड़े से बाहर निकाले गए अभय सिंह
- In मुख्य समाचार 20 Jan 2025 12:00 PM IST
प्रयागराज महाकुंभ में विवाद: IITian बाबा की निष्कासन की कहानी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में जारी भव्य महाकुंभ मेला एक बार फिर देश और दुनिया की नजरों में है। जहां लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं, वहीं महाकुंभ का माहौल संतों और साधुओं की उपस्थिति से भी और अधिक रहस्यमय और आकर्षक बन गया है। इस बार एक और नाम चर्चा में है, वह है अभय सिंह, जिन्हें लोग IITian बाबा के नाम से जानते हैं।
अभय सिंह, जो एक प्रसिद्ध एयरोस्पेस इंजीनियर थे और बाद में संन्यास लेने के बाद एक धार्मिक गुरु के रूप में उभरे, हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। लेकिन अब उनके साथ एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जानकारी के अनुसार, अभय सिंह उर्फ IITian बाबा को जूना अखाड़े से बाहर निकाल दिया गया है। यह घटनाक्रम महाकुंभ के दौरान हुआ है, और इसके पीछे कुछ गहरे कारण हैं, जिनके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे।
जूना अखाड़े का बयान: अनुशासन और समर्पण का महत्व
जूना अखाड़े ने इस विवाद पर एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि किसी भी संन्यासी के लिए अनुशासन और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण सबसे अहम सिद्धांत होते हैं। अखाड़े के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से बताया कि यदि कोई व्यक्ति इन सिद्धांतों का पालन नहीं करता, तो उसे संन्यासी के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में जूना अखाड़े ने अभय सिंह के रवैये और उनके संन्यास के मार्ग पर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।
क्या था मामला?
जूना अखाड़े से अभय सिंह का निष्कासन किस कारण हुआ, यह फिलहाल पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि उनका व्यवहार और अखाड़े के अनुशासन के साथ मेल नहीं खा रहा था। एक व्यक्ति जो एक समय तक शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष पर था, अब अचानक एक धार्मिक मार्ग पर चलने का निर्णय लेता है, तो यह बदलाव अक्सर कुछ सवालों को जन्म देता है। संन्यास लेने के बाद अगर कोई व्यक्ति अपने नए जीवन के सिद्धांतों का सही पालन नहीं करता, तो ऐसे में धार्मिक संगठन इस पर कड़ा कदम उठाते हैं।
IITian बाबा की स्थिति: सोशल मीडिया से लेकर धार्मिक संसार तक
अभय सिंह की कहानी ने न केवल उनके जीवन के बदलाव को उजागर किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उन्हें एक बड़े चर्चे का विषय बना दिया। उनके IIT से संन्यास लेने के बाद की यात्रा ने बहुतों को प्रेरित किया था, लेकिन अब इस विवाद के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या किसी व्यक्ति का शांति और ध्यान का मार्ग सही तरीके से संचालित किया जा रहा है?
प्रयागराज के महाकुंभ में जूना अखाड़े से IITian बाबा के निष्कासन ने एक नई बहस को जन्म दिया है। अनुशासन और गुरु के प्रति समर्पण के सिद्धांतों की अहमियत को लेकर अब संतों और साधुओं के बीच चर्चा हो रही है। हालांकि इस घटना ने कई लोगों को चौंकाया है, लेकिन यह भी सिद्ध करता है कि किसी भी धार्मिक परंपरा में नियम और अनुशासन का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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