महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा, क्या है इसका महत्व और क्यों है यह अनिवार्य?
- In मुख्य समाचार 27 Jan 2025 11:35 AM IST
महाकुंभ, जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, न केवल विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का एक महान अवसर भी है। महाकुंभ में स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा करना एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे पवित्रता और आध्यात्मिक लाभ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन पंचकोशी परिक्रमा क्या है और इसे करना क्यों आवश्यक है? आइए, विस्तार से जानते हैं।
क्या है पंचकोशी परिक्रमा?
पंचकोशी परिक्रमा एक धार्मिक यात्रा है, जिसमें श्रद्धालु कुंभ क्षेत्र के पांच प्रमुख पवित्र स्थलों की परिक्रमा करते हैं। यह यात्रा लगभग 25 से 30 किलोमीटर के दायरे में होती है और इसे नंगे पांव पूरा करने की परंपरा है। यह परिक्रमा गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम क्षेत्र से शुरू होकर विभिन्न मंदिरों और पवित्र स्थलों पर समाप्त होती है। इसे पूर्ण भक्ति, अनुशासन और श्रद्धा के साथ पूरा करना आवश्यक होता है।
पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक महत्व
पंचकोशी परिक्रमा का उल्लेख पुराणों और शास्त्रों में मिलता है। इसे आत्मा की शुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह परिक्रमा करते समय व्यक्ति भगवान के समीप पहुंचता है और उसके जीवन में शांति और सकारात्मकता का संचार होता है। महाकुंभ के दौरान इस परिक्रमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि यह स्नान के पुण्य को और अधिक गहन बनाती है।
पंचकोशी परिक्रमा करने का सही समय
महाकुंभ स्नान के तुरंत बाद पंचकोशी परिक्रमा आरंभ करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह परिक्रमा सुबह के समय शुरू करनी चाहिए, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है। परिक्रमा पूरी करने के दौरान, नियम और अनुशासन का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
परिक्रमा के लाभ
* आध्यात्मिक उन्नति: पंचकोशी परिक्रमा व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करती है और उसे ईश्वर के समीप ले जाती है।
* पापों से मुक्ति: इस परिक्रमा को पापों के प्रायश्चित और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है।
* मानसिक शांति: परिक्रमा के दौरान मंत्रोच्चार और ध्यान व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
* शारीरिक लाभ: पैदल यात्रा के रूप में यह परिक्रमा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती है।
पंचकोशी परिक्रमा का वैज्ञानिक पहलू
धार्मिक महत्व के साथ-साथ, पंचकोशी परिक्रमा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। परिक्रमा के दौरान व्यक्ति प्रकृति के समीप रहता है, जिससे उसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव होता है। साथ ही, यह यात्रा एक प्रकार की ध्यान साधना भी है, जो मन को एकाग्र करती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
पंचकोशी परिक्रमा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को भी बढ़ावा देती है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालु भाग लेते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मेलजोल का अवसर मिलता है।
महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा करना एक अनिवार्य धार्मिक परंपरा है, जो आत्मिक, शारीरिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है। यह यात्रा न केवल व्यक्ति के पापों को मिटाती है, बल्कि उसे एक नए ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभव से भर देती है। अगर आप महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं, तो पंचकोशी परिक्रमा अवश्य करें और इसका दिव्य अनुभव प्राप्त करें।
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