मार्च 2025 में खरमास का शुभारंभ, जानिए इसका महत्व और प्रभाव

मार्च 2025 में खरमास का शुभारंभ, जानिए इसका महत्व और प्रभाव
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हिंदू धर्म में खरमास को एक अशुभ काल माना जाता है, जिसमें कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य करने की मनाही होती है। यह अवधि तब आती है जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशियों – धनु और मीन में प्रवेश करते हैं। इस दौरान सूर्य का प्रभाव कमज़ोर हो जाता है, जिससे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह महीना विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नए कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल नहीं होता।

खरमास 2025 कब से कब तक रहेगा?

पंचांग के अनुसार, 2025 में खरमास 14 मार्च से प्रारंभ होगा। इस दिन शाम 6:59 बजे सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे मीन संक्रांति कहा जाता है। जैसे ही सूर्य मीन राशि में गोचर करेंगे, उसी समय से खरमास लग जाएगा और यह 14 अप्रैल 2025 तक चलेगा। इस बार खास बात यह है कि खरमास का आरंभ होली के दिन ही हो रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

खरमास का धार्मिक महत्व

खरमास को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन यह समय ईश्वर भक्ति, साधना और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

खरमास में क्या न करें?

विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नई दुकान या व्यापार की शुरुआत

नया वाहन या आभूषण खरीदना

जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, कोई नया निवेश

खरमास में क्या करें?

गंगा स्नान और दान-पुण्य करें

श्री हरि विष्णु और सूर्य देव की आराधना करें

तुलसी, पीपल और आँवले के वृक्ष की पूजा करें

जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें

खरमास और होली का संयोग

इस वर्ष 14 मार्च को होली के दिन ही खरमास शुरू हो रहा है। यह संयोग बहुत खास है क्योंकि होली को रंगों का त्योहार और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। वहीं खरमास को साधना और आत्मशुद्धि के लिए उत्तम समय माना जाता है। ऐसे में इस विशेष दिन पर ध्यान, भजन, कीर्तन और हवन का विशेष फल प्राप्त होगा।

खरमास समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत

14 अप्रैल 2025 को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है। इसी के साथ खरमास समाप्त होगा और सभी शुभ कार्य फिर से शुरू किए जा सकेंगे।

खरमास का काल भले ही मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माना गया हो, लेकिन यह आध्यात्मिक प्रगति, ध्यान और सेवा के लिए सबसे उत्तम समय होता है। इस दौरान यदि व्यक्ति सच्चे मन से भगवान का स्मरण करता है और दान-पुण्य करता है, तो उसे पुण्य फल प्राप्त होता है। इस बार यह विशेष संयोग होली के दिन बन रहा है, जिससे यह और अधिक शुभ प्रभाव देने वाला साबित हो सकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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