मसान होली आज , जब चिता भस्म से खेली जाती है होली, काशी में गूंजते हैं हर-हर महादेव के जयकार

मसान होली आज , जब चिता भस्म से खेली जाती है होली, काशी में गूंजते हैं हर-हर महादेव के जयकार
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होली का पर्व जहां रंगों और उल्लास से भरा होता है, वहीं काशी (वाराणसी) की मसान होली एक अनूठी और रहस्यमयी परंपरा का प्रतीक है। यह कोई साधारण होली नहीं, बल्कि मृत्यु के पार जीवन के उत्सव को समर्पित एक दिव्य अनुष्ठान है, जो बाबा विश्वनाथ की नगरी में मनाया जाता है। इस वर्ष मसान होली 2025 का आयोजन आज 10 मार्च को किया जाएगा। इस दिन मणिकर्णिका घाट पर चिता की भस्म से होली खेली जाती है और पूरा वातावरण ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठता है।

मसान होली का महत्व और परंपरा

वाराणसी का मणिकर्णिका घाट सिर्फ एक श्मशान नहीं, बल्कि मोक्ष का द्वार माना जाता है। मान्यता है कि यहां प्राण त्यागने वाले को स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र देकर मोक्ष प्रदान करते हैं। मसान होली की यह अद्भुत परंपरा मृत्यु को उत्सव की भांति मनाने की अनूठी परंपरा का परिचायक है।

कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ होली खेलने की इच्छा जताई, तब भूत-प्रेत और अघोरी समाज दुखी हो गए क्योंकि वे रंग-गुलाल से खेल नहीं सकते थे। तब भोलेनाथ ने उन्हें मसान की भस्म से होली खेलने का वरदान दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हर साल महाशिवरात्रि के बाद पड़ने वाली एकादशी के दिन विशेष रूप से मनाया जाता है।

कैसे खेली जाती है मसान होली?

मसान होली की शुरुआत भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना से होती है। अघोरी और साधु-संत मणिकर्णिका घाट पर एकत्र होते हैं और चिता की भस्म को शरीर पर मलकर नृत्य और भजन-कीर्तन करते हैं। इसके बाद शिवभक्त और श्रद्धालु चिता की राख को गुलाल की तरह उड़ाकर एक-दूसरे पर डालते हैं और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस दौरान हर-हर महादेव, जय शिव शंकर, औघड़ दानी बाबा की जय जैसे उद्घोषों से काशी गूंज उठती है। भक्तगण इस पर्व को मृत्यु से परे जीवन की अमरता के संदेश के रूप में स्वीकार करते हैं।

मसान होली के प्रमुख आकर्षण

✅ शिवभक्तों का अद्भुत उत्साह: इस अनोखी होली में सिर्फ साधु-संत ही नहीं, बल्कि आम श्रद्धालु भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

✅ अघोरियों का तांत्रिक अनुष्ठान: इस दिन अघोरी संत विशेष तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं, जो रहस्य और आध्यात्म से भरा होता है।

✅ भजन-कीर्तन और नृत्य: शिवभक्त भजन-कीर्तन करते हैं और भस्म से खेलते हुए नृत्य करते हैं।

✅ चिता भस्म का विशेष प्रयोग: मान्यता है कि मसान होली में शामिल होने और चिता भस्म का स्पर्श करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और शिव कृपा प्राप्त होती है।

मसान होली का आध्यात्मिक संदेश

मसान होली सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच के भेद को मिटाने वाली साधना है। यह पर्व हमें सिखाता है कि मृत्यु ही अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। वाराणसी में यह मान्यता है कि मृत्यु के बाद भी जीवन का उत्सव जारी रहता है और बाबा विश्वनाथ के चरणों में स्थान पाने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मसान होली 2025 काशी की एक अनोखी और रहस्यमयी परंपरा है, जो मृत्यु और जीवन के बीच संतुलन की प्रतीक मानी जाती है। यह पर्व बाबा भोलेनाथ की महिमा को दर्शाता है और यह बताता है कि शिव का भस्म भी उतना ही पवित्र है जितना कि रंग-गुलाल। यदि आप इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इस बार काशी में मसान होली का अद्भुत दृश्य अवश्य देखें और शिव की भक्ति में लीन हो जाएं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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