"मौनी अमावस्या 2025: पवित्र गंगा स्नान, दान और पितरों की कृपा पाने का सर्वोत्तम अवसर"
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माघ मास की अमावस्या को धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं में विशेष स्थान प्राप्त है। इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "मौन रहने और आत्मचिंतन करने का दिन।" सनातन धर्म के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से कई गुना पुण्य मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर **अमृत योग** का शुभ संयोग बन रहा है, जो इसे और भी अधिक फलदायी बनाता है।
यह पर्व आत्मिक शांति, पवित्रता और पितरों की कृपा प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। आइए जानते हैं इस साल मौनी अमावस्या का महत्व, शुभ मुहूर्त और उन कार्यों के बारे में, जो पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए किए जा सकते हैं।
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व
मौनी अमावस्या पर मौन रहकर आत्मचिंतन और ध्यान करने की परंपरा है। यह दिन आत्मा की शुद्धि और पवित्रता के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, जैसे गंगा स्नान, पितरों का तर्पण और दान, कई गुना अधिक फलदायी होते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना और गंगा स्नान से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, पितरों के निमित्त किए गए कार्यों से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मौनी अमावस्या 2025 का शुभ मुहूर्त
इस साल मौनी अमावस्या का शुभ समय:
शुरुआत: 9 फरवरी 2025 को सुबह 6:00 बजे
समाप्ति: 10 फरवरी 2025 को सुबह 8:00 बजे
अमृत योग और अन्य शुभ संयोगों के कारण इस बार का मौनी अमावस्या पर्व और भी खास बन गया है। इस दिन भक्तों के लिए गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठान का महत्व अत्यधिक है।
पितरों की कृपा पाने के तीन मुख्य उपाय
1. गंगा स्नान और तर्पण
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और पितरों को तृप्ति मिलती है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें। तर्पण के लिए तिल, जौ, और जल का उपयोग किया जाता है।
2. दान और धर्मकार्य
इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देने की परंपरा है। भोजन, वस्त्र, धन, और अन्नदान का विशेष महत्व है। गौ-दान और अन्नदान करने से पितरों को संतोष प्राप्त होता है और वे आशीर्वाद देते हैं।
3. मौन रहकर ध्यान और पूजा
मौनी अमावस्या पर मौन रहना आत्मा की शुद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी गंगा की आराधना करें। ध्यान और मंत्रजप से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
मौनी अमावस्या का फल और मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर किए गए पुण्य कार्य, जैसे दान, गंगा स्नान, और पितरों का तर्पण, न केवल वर्तमान जीवन को सुखमय बनाते हैं, बल्कि व्यक्ति के अगले जन्म को भी संवारते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।इस शुभ अवसर पर धार्मिक स्थलों और गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यह दिन हर व्यक्ति को अपनी आत्मा और पितरों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है।
मौनी अमावस्या 2025 अद्वितीय संयोगों से परिपूर्ण है। यह दिन पवित्रता, धर्म और पितरों की कृपा प्राप्त करने का सबसे श्रेष्ठ अवसर है। श्रद्धालु इस दिन को पुण्य कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए समर्पित करें और अपने जीवन को सुख-शांति से भरपूर बनाएं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |