प्रयागराज के महाकुंभ के पश्चात नागा साधुओं का काशी की ओर प्रस्थान, मसाने की होली और महाशिवरात्रि की तैयारी शुरू

प्रयागराज के महाकुंभ के पश्चात नागा साधुओं का काशी की ओर प्रस्थान, मसाने की होली और महाशिवरात्रि की तैयारी शुरू
X

प्रयागराज के महाकुंभ में तीन प्रमुख पवित्र स्नानों के संपन्न होने के बाद अब नागा सन्यासियों और विभिन्न अखाड़ों की टोली काशी की ओर अग्रसर हो रही है। महाकुंभ के इस आध्यात्मिक संगम के उपरांत साधु-संतों के जीवन का एक और महत्वपूर्ण अध्याय प्रारंभ होता है, जिसमें काशी के पावन घाटों और गलियों में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

काशी में विशेष आयोजन: मसाने की होली और महाशिवरात्रि का पर्व

काशी नगरी, जो अपने अलौकिक वातावरण और आध्यात्मिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, अब नागा साधुओं के स्वागत के लिए सज रही है। यहां पर मसाने की होली का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा, जिसमें साधु-संत भस्म से होली खेलते हैं, जो जीवन और मृत्यु के रहस्य को दर्शाता है। इस अद्भुत आयोजन के माध्यम से साधु-संत आत्मा की अमरता और भौतिकता के मोह से मुक्ति का संदेश देते हैं।

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना का आयोजन होगा, जिसमें नागा साधु विशेष रूप से सम्मिलित होंगे। इस दिन शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ेगी और गंगा घाटों पर विशेष स्नान और रुद्राभिषेक किए जाएंगे।

साधु-संतों की यात्रा की तैयारी

महाकुंभ के पवित्र स्नानों के पश्चात साधु-संतों ने काशी यात्रा के लिए अपनी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। उनके तंबू उखाड़े जा रहे हैं और यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री को व्यवस्थित किया जा रहा है। अखाड़ों के झंडे, धार्मिक प्रतीक, और आध्यात्मिक ध्वज एक विशेष परंपरा के तहत सजे-धजे जा रहे हैं।

श्रीमहंत बनने की प्रक्रिया का आरंभ

काशी में पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के संपन्न होने के बाद ही श्रीमहंत बनने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और गंभीर होती है, जिसमें साधु-संतों की आध्यात्मिक उपलब्धियों और उनके तप का मूल्यांकन किया जाता है। श्रीमहंत पद की जिम्मेदारी धार्मिक नेतृत्व और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक होती है।

काशी की ओर बढ़ती साधु-संतों की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की जीवंत धारा को भी उजागर करती है। इस यात्रा के माध्यम से काशी पुनः एक बार आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में जगमगा उठेगी।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |

Tags:
Next Story
Share it