नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व, किस उम्र की कन्या को भोजन कराने से मिलता है कौन सा फल?

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व: किस उम्र की कन्या को भोजन कराने से मिलता है कौन सा फल?हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है और विशेष रूप से अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत और अनुष्ठान पूर्ण नहीं माना जाता। देवी स्वरूप कन्याओं को भोजन कराकर माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की उम्र तक की कन्याओं को भोजन कराना विशेष फलदायी होता है। हर उम्र की कन्या में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप का वास माना जाता है और उनके अनुसार ही उनकी पूजा करने से विभिन्न प्रकार के शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि किस उम्र की कन्या को भोजन कराने से कौन सा लाभ मिलता है।
2 वर्ष की कन्या (कुमारी) - पवित्रता और सुख-शांति का प्रतीक
इस आयु की कन्या को भोजन कराने से घर में पवित्रता बनी रहती है। ऐसा करने से जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है। इस आयु की कन्या मां भगवती के शुद्धतम स्वरूप का प्रतीक होती है, इसलिए इसे भोजन कराना विशेष पुण्यदायी होता है।
3 वर्ष की कन्या (त्रिमूर्ति) - ऐश्वर्य और ज्ञान की प्राप्ति
तीन वर्ष की कन्या को भोजन कराने से माता लक्ष्मी, सरस्वती और काली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह कन्या स्वरूप त्रिमूर्ति कहलाती है और इसकी सेवा करने से ऐश्वर्य, ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है।
4 वर्ष की कन्या (कल्याणी) - सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
इस उम्र की कन्या को भोजन कराने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य आता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को आनंद, उन्नति और मानसिक शांति प्रदान करता है।
5 वर्ष की कन्या (रोहिणी) - रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ
पांच वर्ष की कन्या को भोजन कराने से सभी प्रकार के रोग, कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं। माता रोहिणी के स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
6 वर्ष की कन्या (चंडिका) - संकटों से रक्षा और साहस की प्राप्ति
इस आयु की कन्या मां चंडिका का स्वरूप मानी जाती है। इसे भोजन कराने से भय, संकट और शत्रुओं से रक्षा होती है। इसके अलावा, व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है।
7 वर्ष की कन्या (शांभवी) - आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति
सात वर्ष की कन्या को भोजन कराने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह स्वरूप साधना, ध्यान और योग के प्रति रुचि बढ़ाने वाला होता है। जिन लोगों को मानसिक अशांति या तनाव हो, उन्हें इस आयु की कन्या को भोजन कराना चाहिए।
8 वर्ष की कन्या (दुर्गा) - धन और वैभव की प्राप्ति
आठ वर्ष की कन्या को भोजन कराने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य और मान-सम्मान बढ़ाने वाला होता है। व्यापार, नौकरी और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस उम्र की कन्या को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।
9 वर्ष की कन्या (सुभद्रा) - सभी इच्छाओं की पूर्ति और कल्याण
नौ वर्ष की कन्या को भोजन कराने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में शुभता आती है। यह स्वरूप माता सुभद्रा का प्रतीक है, जो कल्याणकारी और मंगलमयी मानी जाती हैं।
10 वर्ष की कन्या (सिद्धिदात्री) - संपूर्ण सफलता और सिद्धि प्राप्ति
दस वर्ष की कन्या को भोजन कराने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है। मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की कृपा से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में हर प्रकार की उन्नति प्राप्त होती है।
कन्या पूजन की सही विधि
* नवरात्रि के अष्टमी या नवमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करें।
* कन्याओं के पैर धोकर उनका सत्कार करें और उन्हें उचित स्थान पर बैठाएं।
* प्रत्येक कन्या को माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व मानकर उनकी आरती करें।
* भोजन में पूरी, चना और हलवा अर्पित करें और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराएं।
* भोजन के पश्चात कन्याओं को दक्षिणा, वस्त्र या उपहार भेंट करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
नवरात्रि में कन्या पूजन का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हर उम्र की कन्या में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप का वास होता है और उनके अनुसार ही उनकी सेवा करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इसलिए, नवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धा और भक्ति के साथ कन्या पूजन करना चाहिए, ताकि मां भगवती की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त हो सके।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।