जानिए लोहड़ी और मकर संक्रांति का महत्व और परंपराएं
- In मुख्य समाचार 13 Jan 2024 3:29 PM IST
सर्द मौसम में रिश्तों में मिठास और गर्माहट भरने वाले दो प्रमुख त्योहार लोहड़ी और मकर संक्रांति हैं। लोहड़ी मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है, जबकि मकर संक्रांति पूरे भारत में मनाया जाता है।
इस साल लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी, 2024 को मनाया जाएगा। यह तिथि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर आधारित है। लोहड़ी का पर्व सर्दियों की समाप्ति और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी, 2024 को मनाया जाएगा। यह तिथि भी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर आधारित है। मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन उत्तर भारत में नए साल का पहला दिन भी माना जाता है।
दोनों त्योहारों का अपना-अपना महत्व है। लोहड़ी का पर्व रिश्तों में मिठास और गर्माहट भरने का पर्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़, रेवड़ी, गजक आदि खिलाते हैं। इसके साथ ही, लोग एक विशाल अग्नि जलाते हैं और उसके चारों ओर नाचते-गाते हैं। इस अग्नि को लोहड़ी या धूप कहा जाता है। लोहड़ी की अग्नि को शीतकालीन नकारात्मकता को दूर करने और नए साल की समृद्धि और खुशहाली को आमंत्रित करने के लिए जलाया जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व भी लोहड़ी के समान ही है। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़, गुलाल और अक्षत आदि खिलाते हैं। इसके साथ ही, लोग पतंगबाजी, दौड़ आदि खेलते हैं। मकर संक्रांति को धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
लोहड़ी और मकर संक्रांति दोनों त्योहारों में कुछ समान परंपराएं हैं। इनमें से कुछ प्रमुख परंपराएं निम्नलिखित हैं:
दोनों त्योहारों पर लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ खिलाते हैं। तिल को समृद्धि और गुड़ को मिठास का प्रतीक माना जाता है।
दोनों त्योहारों पर लोग एक विशाल अग्नि जलाते हैं। इस अग्नि को लोहड़ी या धूप कहा जाता है। लोहड़ी की अग्नि को शीतकालीन नकारात्मकता को दूर करने और नए साल की समृद्धि और खुशहाली को आमंत्रित करने के लिए जलाया जाता है।
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी एक प्रमुख परंपरा है। लोग आसमान में पतंग उड़ाते हैं और एक-दूसरे की पतंग काटने की कोशिश करते हैं।
दोनों त्योहारों पर लोग पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं। जैसे कि मक्की की रोटी, सरसों का साग, पकौड़े और हलवा,
लोहड़ी और मकर संक्रांति दो महत्वपूर्ण त्योहार हैं जो भारत में धूमधाम से मनाए जाते हैं। ये दोनों त्योहार रिश्तों में मिठास और गर्माहट भरने का अवसर प्रदान करते हैं।