भारतीय औषधि अनुसंधान के पुरोधा डॉ. नित्यानंद का निधन
- In मुख्य समाचार 27 Jan 2024 1:32 PM IST
डॉ. नित्यानंद का जन्म 1925 में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एमएससी और पीएचडी की। उन्होंने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में 40 से अधिक वर्षों तक काम किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण दवाओं और टीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
भारतीय औषधि अनुसंधान के पुरोधा पद्मश्री डॉ. नित्यानंद का 27 जनवरी, 2024 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे।
डॉ. नित्यानंद का जन्म 1925 में उत्तरकाशी जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एमएससी और पीएचडी की।
उन्होंने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में 40 से अधिक वर्षों तक काम किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण दवाओं और टीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इनमें से कुछ महत्वपूर्ण दवाओं में मलेरिया की दवा "क्लोरोक्वीन", यक्ष्मा की दवा "रिफैम्पिसिन", और मूत्राशय के कैंसर की दवा "एमिनोग्लुटेथेमाइड" शामिल हैं। उन्होंने कई टीकों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें डिप्थीरिया, टिटनेस, और पोलियो का टीका शामिल है।
डॉ. नित्यानंद के योगदानों के लिए उन्हें 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
उनके निधन पर भारत सरकार, वैज्ञानिक समुदाय, और आम जनता ने शोक व्यक्त किया है। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को उत्तरकाशी में किया जाएगा।
डॉ. नित्यानंद के योगदान भारतीय औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में अद्वितीय हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण दवाओं और टीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को बचाया है।
उनके योगदानों को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
उन्होंने कई महत्वपूर्ण दवाओं और टीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में कई नए अनुसंधानों को प्रेरित किया। उन्होंने भारतीय औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में कई युवा वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया।
डॉ. नित्यानंद का निधन भारतीय औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। उनके योगदानों को हमेशा याद रखा जाएगा।