Home > मुख्य समाचार > मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा, क्या है इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व?

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा, क्या है इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व?

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा, क्या है इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व?

मकर संक्रांति भारत के सबसे...PS

मकर संक्रांति भारत के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन दान-पुण्य, स्नान और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है। खिचड़ी न केवल इस पर्व का पारंपरिक व्यंजन है, बल्कि इसे जरूरतमंदों में बांटने का भी विधान है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्रांति पर विशेष रूप से खिचड़ी ही क्यों बनाई और खाई जाती है? इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं।

खिचड़ी का महत्व: एक सरल और पोषण से भरपूर व्यंजन

खिचड़ी एक ऐसा भोजन है जो साधारण होते हुए भी अत्यधिक पौष्टिक और पचने में आसान है। यह दाल, चावल और मसालों का संयोजन है, जो शरीर को ऊर्जा और गर्माहट प्रदान करता है। मकर संक्रांति सर्दियों के मौसम में आती है, जब शरीर को अधिक ऊर्जा और गर्माहट की आवश्यकता होती है। खिचड़ी न केवल यह आवश्यकताएं पूरी करती है, बल्कि इसे पकाने और खाने में भी सरलता होती है।

धार्मिक दृष्टिकोण: क्यों खिचड़ी ही है खास?

1. शास्त्रों में वर्णित परंपरा

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और बांटने का उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि का आगमन होता है।

2. गुरु गोरखनाथ से जुड़ी मान्यता

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, महान संत गुरु गोरखनाथ ने खिचड़ी को इस पर्व का अभिन्न हिस्सा बनाया। कहा जाता है कि उन्होंने अपने शिष्यों और भक्तों को मकर संक्रांति पर खिचड़ी पकाने और बांटने का संदेश दिया, ताकि समाज में दान और सेवा का महत्व बढ़ सके। आज भी गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में इस दिन विशाल खिचड़ी मेले का आयोजन होता है।

3. दान-पुण्य का प्रतीक

मकर संक्रांति दान-पुण्य का पर्व है। खिचड़ी, जिसमें चावल, दाल और अन्य सामग्री होती है, को गरीबों में बांटना सादगी और सेवा का प्रतीक है। इस दिन खिचड़ी का दान ग्रह दोषों को शांत करता है और अक्षय पुण्य का फल देता है।

खिचड़ी खाने के पीछे सांस्कृतिक कारण

1. सर्दियों का आहार

खिचड़ी में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे उड़द दाल, चावल, सरसों का तेल और घी शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं। मकर संक्रांति सर्दियों के चरम पर आती है, और यह भोजन स्वास्थ्य के लिए आदर्श माना जाता है।

2. सामाजिक समानता का प्रतीक

खिचड़ी एक ऐसा व्यंजन है जो समाज के हर वर्ग द्वारा आसानी से बनाया और खाया जा सकता है। यह सादगी और समानता का संदेश देती है। इसे बनाना आसान है और कम खर्च में बड़ी मात्रा में तैयार किया जा सकता है, जिससे इसे जरूरतमंदों में बांटना भी संभव होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाता है, जिससे मौसम में बदलाव आने लगता है। इस समय शरीर को ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है। खिचड़ी में मौजूद दालें और चावल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अच्छा स्रोत हैं, जो सर्दियों में शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखते हैं।

कैसे मनाएं खिचड़ी पर्व?

1. सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें।

2. खिचड़ी बनाकर उसमें घी और तिल डालें।

3. भगवान सूर्य को भोग लगाएं और फिर परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

4. जरूरतमंदों को खिचड़ी, तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करें।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना और दान करना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह सादगी, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है और जीवन में सादगी का महत्व सिखाता है। खिचड़ी न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि इसे बनाना और बांटना भी एक अद्वितीय अनुभव है, जो हमारे सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Share it
Top