11 मार्च 2025 प्रदोष व्रत, शुभ संयोगों के बीच करें भगवान शिव की पूजा, जानें व्रत और मुहूर्त की पूरी जानकारी

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार मार्च माह का प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025, मंगलवार को रखा जाएगा, जो कि अपने आप में एक अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहा है। इस दिन भक्तजन शिवजी की आराधना कर विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि इस दिन कई दुर्लभ योग भी बन रहे हैं।
प्रदोष व्रत की तिथि और समय
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2025 को सुबह 08:13 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2025 को सुबह 09:11 बजे
चूंकि प्रदोष व्रत का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है, इसलिए इस दिन 11 मार्च को ही व्रत रखा जाएगा और शिव पूजन का श्रेष्ठ समय रहेगा:
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त: शाम 06:27 बजे से रात 08:53 बजे तक
इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और व्रतधारी को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत पर बनने वाले शुभ योग
इस बार का प्रदोष व्रत कई दुर्लभ ज्योतिषीय संयोगों के बीच आ रहा है, जो इसे और भी खास बना रहे हैं।
सुकर्मा योग: यह योग सफलता और समृद्धि का प्रतीक होता है। इस योग में किए गए धार्मिक कार्य और व्रत अत्यधिक फलदायी होते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है।
इन शुभ योगों के कारण इस प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है, और इस दिन की गई पूजा विशेष रूप से प्रभावी होगी।
प्रदोष व्रत का महत्व और लाभ
1. भगवान शिव की कृपा: प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
2. आर्थिक समृद्धि: इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
3. रोग और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति: जो लोग लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें यह व्रत करने से राहत मिलती है।
4. वैवाहिक जीवन में सुख: विवाहित दंपतियों के लिए यह व्रत अत्यंत शुभ होता है। इसे करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है और प्रेम बढ़ता है।
5. संतान सुख: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों को यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिए, क्योंकि यह संतान सुख प्रदान करने वाला माना गया है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
. स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
. भगवान शिव का पूजन: शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल, शहद और बेलपत्र चढ़ाकर पूजा करें।
. धूप-दीप जलाएं: शिवजी के समक्ष दीपक जलाकर धूप-दीप से आरती करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
. ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें: इस दिन "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
. महादेव को भोग अर्पित करें: शिवजी को फल, मिठाई और विशेष रूप से गुड़-तिल का भोग लगाएं।
. व्रत कथा का पाठ करें: प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें, इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत में क्या करें और क्या न करें?
✅ क्या करें?
✔ शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
✔ इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयमित आचरण करें।
✔ गरीबों को दान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
✔ इस दिन रुद्राभिषेक कराना अत्यंत लाभकारी होता है।
❌ क्या न करें?
✖ इस दिन मांसाहार और मद्यपान से बचें।
✖ घर में किसी से झगड़ा या कटु वचन न बोलें।
✖ व्रत के दौरान झूठ न बोलें और किसी का अपमान न करें।
✖ तामसिक भोजन करने से बचें।
11 मार्च 2025 को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शिव भक्ति के लिए अत्यंत शुभ है, क्योंकि इस दिन सुकर्मा योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस व्रत को करने से भक्तों को मानसिक शांति, आर्थिक उन्नति, स्वास्थ्य लाभ और समस्त संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन विधिपूर्वक पूजा करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।