राम नवमी 2025 प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव में डूबी अयोध्या, देशभर के मंदिरों में गूंजे 'जय श्रीराम' के जयघोष

6 अप्रैल 2025, रविवार – आज पूरे देश में आस्था और भक्ति की गंगा बह रही है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला राम नवमी पर्व इस बार भी पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था। राम नवमी का यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है, जो पूरे भारतवर्ष में एक विशेष स्थान रखता है।
अयोध्या में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या आज श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगी नजर आ रही है। देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं, जिनके जयघोषों से पूरी नगरी गूंज उठी है। रामलला के दरबार में विशेष श्रृंगार, अभिषेक और आरती का आयोजन किया गया है। राम जन्मभूमि परिसर को फूलों, दीयों और रंगोलियों से सजाया गया है, जहां हर तरफ दिव्यता और उल्लास का वातावरण बना हुआ है।
विशेष पूजन और शोभा यात्राएं
राम नवमी के अवसर पर देशभर के प्रमुख राम मंदिरों में विशेष पूजन, हवन और कीर्तन हो रहे हैं। सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतारें देखी गईं, जहां श्रद्धालु भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करते नजर आए। कई शहरों में भव्य शोभा यात्राएं निकाली गई हैं, जिनमें झांकियों के माध्यम से भगवान राम के जीवन प्रसंगों को दर्शाया गया है।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक एकता का पर्व
राम नवमी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, यह भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा से जुड़ा पर्व है। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है, जिन्होंने धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलकर एक आदर्श जीवन प्रस्तुत किया। यही कारण है कि आज भी राम नवमी पर लोग न केवल पूजा-पाठ करते हैं, बल्कि श्रीराम के आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प भी लेते हैं।
राम नवमी का पर्व न केवल एक पौराणिक घटना का स्मरण है, बल्कि यह भारतीय समाज की धार्मिक चेतना, आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का सजीव उत्सव भी है। अयोध्या में राम जन्मोत्सव की यह छटा देखने योग्य है, जहां आस्था की रोशनी में संपूर्ण वातावरण जगमगा उठा है।