रमजान में जकात और फितरे का महत्व, जानिए सही तरीका और नियम

रमजान का पाक महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम होता है। यह महीना इबादत, संयम और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान दुनिया भर के मुसलमान रोजा (उपवास) रखते हैं, पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं और अल्लाह की रहमत पाने के लिए दुआ मांगते हैं। इस्लाम धर्म में रमजान को नेकियों और पुण्य का महीना कहा जाता है, जिसमें किए गए हर अच्छे कार्य का कई गुना अधिक सवाब (पुण्य) मिलता है।
रमजान में सिर्फ इबादत और रोजे का ही नहीं, बल्कि जकात और फितरे का भी विशेष महत्व बताया गया है। यह दोनों इस्लाम में दान-पुण्य के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं, जिनका पालन करना हर सक्षम मुसलमान का फर्ज है। आइए जानते हैं जकात और फितरा का सही अर्थ, इसका महत्व और इसे देने का सही तरीका।
जकात: क्या है और क्यों दी जाती है?
जकात (Zakat) इस्लाम में एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य है, जिसे आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों को गरीब और जरूरतमंदों की मदद के लिए देना अनिवार्य माना जाता है। यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और इसे रमजान के दौरान देने का विशेष महत्व बताया गया है।
कितनी देनी चाहिए?
इस्लामिक नियमों के अनुसार, अपनी कुल संपत्ति का 2.5% हिस्सा जकात के रूप में देना आवश्यक होता है।
किन लोगों को दी जा सकती है?
जकात उन लोगों को दी जा सकती है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, अनाथ, विधवा, बेसहारा या किसी भी प्रकार की मदद के हकदार हैं।
कब और कैसे दें?
इसे रमजान के महीने में देना सबसे अधिक पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन इसे साल के किसी भी समय दिया जा सकता है।
फितरा: रमजान में इसका महत्व और सही तरीका
फितरा (Fitrana) रमजान के खत्म होने से पहले दिया जाने वाला एक अनिवार्य दान होता है, जिसे सदका-ए-फितर भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य समाज के गरीब तबके को ईद की खुशी में शामिल करना होता है ताकि वे भी ईद का त्यौहार अच्छे से मना सकें।
कितना देना जरूरी है?
फितरा की राशि हर साल निर्धारित की जाती है और इसे प्रत्येक व्यक्ति की ओर से देना जरूरी होता है। यह आमतौर पर गेहूं, जौ, खजूर या अन्य अनाज की कीमत के आधार पर तय किया जाता है।
कब देना चाहिए?
इसे ईद-उल-फितर की नमाज से पहले देना जरूरी माना जाता है, ताकि गरीबों को समय पर इसका लाभ मिल सके।
कौन दे सकता है?
घर का मुखिया अपने परिवार के सभी सदस्यों की ओर से फितरा अदा कर सकता है।
रमजान में जकात और फितरा का सही महत्व
रमजान केवल इबादत और रोजा रखने का महीना नहीं है, बल्कि यह हमें दया, करुणा और समाज के कमजोर वर्ग की सहायता करने की सीख भी देता है। जकात और फितरा देने से न केवल जरूरतमंदों की मदद होती है, बल्कि देने वाले को भी पुण्य प्राप्त होता है। यही वजह है कि रमजान में जकात और फितरे को अनिवार्य बताया गया है, ताकि कोई भी व्यक्ति ईद की खुशियों से वंचित न रहे।
इसलिए, अगर आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तो रमजान के दौरान जकात और फितरा अदा करना न भूलें। यह न केवल इस्लामिक शिक्षाओं का पालन करने का तरीका है, बल्कि समाज में भाईचारे और समभाव को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम भी है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।