रोहिणी व्रत 2025, जानिए तिथि, नियम और लाभ

रोहिणी व्रत 2025, जानिए तिथि, नियम और लाभ
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रोहिणी व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसे विशेष रूप से जैन और हिंदू समुदायों में आस्था के साथ मनाया जाता है। यह व्रत तब रखा जाता है जब सूर्योदय के समय रोहिणी नक्षत्र प्रभावी होता है। इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। फरवरी 2025 में यह व्रत शुक्रवार, 7 फरवरी को रखा जाएगा। आइए विस्तार से जानते हैं इस व्रत के नियम और इसके लाभ।

रोहिणी व्रत 2025 की तिथि और समय:

व्रत तिथि: शुक्रवार, 7 फरवरी 2025

नक्षत्र प्रारंभ: 7 फरवरी को सूर्योदय के साथ

नक्षत्र समाप्त: अगले दिन सूर्योदय से पूर्व तक (सटीक समय पंचांग के अनुसार)

रोहिणी व्रत के नियम:

1. स्नान और शुद्धता: व्रतधारी को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. पूजा-विधि: भगवान वासुपूज्य का विधिवत पूजन करें। इसमें धूप, दीप, अक्षत, पुष्प और फल अर्पित किए जाते हैं।

3. ध्यान और मंत्र जाप: इस दिन विशेष रूप से भगवान वासुपूज्य के मंत्रों का जाप करें। जैन धर्म में 'नवकार मंत्र' का जप अत्यंत फलदायी माना जाता है।

4. व्रत का पालन: दिनभर उपवास रखें या फलाहार करें। जल का सेवन संयमपूर्वक करें।

5. दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और अन्य आवश्यक चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

रोहिणी व्रत के लाभ:

* आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण में सहायक है।

* मानसिक शांति: नियमित रूप से रोहिणी व्रत करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।

* स्वास्थ्य लाभ: संयमित आहार और ध्यान से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

* सुख-समृद्धि: व्रत और दान-पुण्य के प्रभाव से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

रोहिणी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि यह आत्मअनुशासन, शुद्धता, और आध्यात्मिक विकास का माध्यम भी है। व्रत के नियमों का पालन कर और भगवान वासुपूज्य की भक्ति के साथ इस दिन को मनाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |

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