संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, शुभ मुहूर्त और राहुकाल की पूरी जानकारी

आज सोमवार, 17 मार्च 2025 को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। यह दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन जब यह सोमवार के दिन पड़ता है तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर उनसे समस्त संकटों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा का समय
संकष्टी चतुर्थी व्रत करने वाले भक्तों के लिए पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणपति बप्पा की आराधना करने से सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का भी खास महत्व होता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। चतुर्थी तिथि का आरंभ 17 मार्च को सुबह 08:15 बजे हो रहा है और इसका समापन 18 मार्च को प्रातः 06:45 बजे होगा। पूजा और व्रत का शुभ मुहूर्त शाम को गणेश चतुर्थी पूजन के लिए रहेगा, जबकि चंद्रमा के दर्शन रात्रि 09:27 बजे किए जा सकेंगे।
राहुकाल और पूजा विधि
ज्योतिष के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले राहुकाल का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि इस दौरान पूजा करने से सकारात्मक फल की प्राप्ति में बाधा आ सकती है। आज सोमवार को राहुकाल प्रातः 07:30 बजे से 09:00 बजे तक रहेगा। इसलिए इस अवधि के दौरान पूजा करने से बचना चाहिए। पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय संध्या के समय होगा, जब भक्त भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक, फल और फूल अर्पित कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत खासतौर पर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति चाहते हैं। यह व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त परेशानियों को दूर कर उन्हें सफलता प्रदान करते हैं। इस दिन कथा का श्रवण करना भी फलदायी माना जाता है, क्योंकि इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
व्रत का पारण और नियम
संकष्टी चतुर्थी का व्रत निर्जला और फलाहारी दोनों प्रकार से किया जा सकता है। कुछ भक्त पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करते, जबकि कुछ फल और दूध से व्रत रखते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन चंद्र दर्शन करने और अर्घ्य देने से चंद्र दोष भी समाप्त होते हैं।
भगवान गणेश के भक्तों के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत को सच्चे मन से करने पर निश्चित रूप से भगवान गणेश कृपा करते हैं और जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।