शीतला अष्टमी 2025, बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए खास पर्व, जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है, जिसे बसौड़ा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता शीतला की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से रक्षा होती है।
शीतला अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। यह पर्व होली के ठीक आठ दिन बाद, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 मार्च 2025 को रात 11:48 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 मार्च 2025 को रात 09:30 बजे
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन माता शीतला की पूजा सुबह जल्दी करनी चाहिए। जो भक्त सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखते हैं और माता शीतला की आराधना करते हैं, उन्हें विशेष लाभ मिलता है।
शीतला अष्टमी का धार्मिक महत्व
शीतला अष्टमी का पर्व स्वास्थ्य और रोग निवारण से जुड़ा हुआ है। धार्मिक ग्रंथों में माता शीतला को रोगों की देवी माना गया है, विशेष रूप से चेचक, स्किन डिजीज और अन्य संक्रामक बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और माता शीतला की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त हो जाते हैं।
शीतला अष्टमी को लेकर मान्यता है कि इस दिन खाने में ताजा भोजन का उपयोग नहीं किया जाता। इस दिन एक दिन पहले बने हुए भोजन (बासी भोजन) को खाया जाता है, जिसे बसौड़ा कहा जाता है। यह परंपरा इसलिए प्रचलित है क्योंकि माता शीतला को ठंडा और बासी भोजन प्रिय है।
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
1. स्नान और संकल्प: प्रातः काल सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
2. माता शीतला की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें: मंदिर या घर में माता शीतला की प्रतिमा स्थापित करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
3. बासी भोजन का भोग लगाएं: इस दिन एक दिन पहले तैयार किया गया भोजन माता शीतला को अर्पित करें। इसमें चूरमा, मीठे पकवान, रोटी, दही और बाजरे की रोटी शामिल होती है।
4. अगरबत्ती, दीपक और धूप जलाएं: माता शीतला की आरती करें और हाथ जोड़कर परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
मंत्र जाप करें:
* "ॐ ह्रीं शीतलायै नमः" मंत्र का जाप करें।
* ब्रह्मणों और गरीबों को दान दें: इस दिन दान-पुण्य करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है।
* शीतला अष्टमी व्रत करने के लाभ
* रोगों से मुक्ति: माता शीतला की कृपा से त्वचा संबंधी और संक्रामक रोगों से बचाव होता है।
* परिवार में सुख-शांति: इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और पारिवारिक कलह समाप्त होते हैं।
* संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति: माताएं इस दिन उपवास रखकर अपने बच्चों की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
* कष्टों का निवारण: शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
शीतला अष्टमी से जुड़ी लोक मान्यताएं
कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई माता शीतला का व्रत करता है तो उसके परिवार पर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता।
मान्यता के अनुसार, इस दिन आग का उपयोग करने से बचना चाहिए और माता शीतला को ठंडा एवं बासी भोजन चढ़ाना चाहिए।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
शीतला अष्टमी केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा एक विशेष पर्व भी है। इस दिन माता शीतला की पूजा करके न सिर्फ परिवार की खुशहाली सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि रोगों से बचाव भी किया जा सकता है। यदि सही विधि से इस पर्व को मनाया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास बना रहता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।