आख़िर क्यों नाराज़ है सुप्रीम कोर्ट यूपी पुलिस से?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को दीवानी विवाद को आपराधिक केस में बदलने पर फटकार लगाई। DGP और IO को किया तलब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य में दीवानी मामलों को आपराधिक रंग देना कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है। यह टिप्पणी गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के एक मामले की सुनवाई के दौरान दी गई, जिसमें नोएडा के सेक्टर-39 थाने में दर्ज एक प्राथमिकी पर सवाल उठे।
क्या है पूरा मामला?
नोएडा निवासी देबू सिंह और दीपक सिंह पर आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (धमकी) और 120बी (साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दोनों ने इसे रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जो खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
कोर्ट की सख़्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि यह मामला एक सिविल विवाद था, जिसे जानबूझकर आपराधिक रंग दिया गया। यहां तक कि पुलिस को कथित तौर पर रिश्वत दी गई ताकि मामला गंभीर लगे।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की टिप्पणी
“उत्तर प्रदेश में हर रोज़ दीवानी मामलों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है। यह बेतुका है। केवल पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता।”
जांच अधिकारी और DGP से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यूपी पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार और सेक्टर-39 थाना प्रभारी (IO) को दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है। साथ ही जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह निचली अदालत में गवाह के तौर पर पेश होकर बताए कि यह आपराधिक मामला क्यों बनाया गया।
आपराधिक कार्यवाही पर लगाई रोक, लेकिन चेक बाउंस मामला जारी रहेगा
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा की निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हालांकि, संबंधित चेक बाउंस का मामला यथावत जारी रहेगा।
पहले भी चेतावनी दे चुके हैं CJI
यह पहली बार नहीं है जब चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस तरह की प्रवृत्ति पर चिंता जताई हो। दिसंबर 2024 में भी उन्होंने ऐसे मामलों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि दीवानी विवादों को आपराधिक रंग देना न्यायिक व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ डालता है और यह कानून के दुरुपयोग का उदाहरण है।
अदालत की अंतिम चेतावनी: आगे से जुर्माना लगेगा
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यदि आगे से यूपी में ऐसे मामले सामने आए तो पुलिस पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह कानून का दुरुपयोग है और पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाता है।”