नए घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए अपनाएं ये महत्वपूर्ण वास्तु नियम

नए घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के लिए अपनाएं ये महत्वपूर्ण वास्तु नियम
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घर केवल ईंट-पत्थरों से बना ढांचा नहीं होता, बल्कि यह हमारी खुशियों, सपनों और ऊर्जा का केंद्र होता है। जब भी कोई व्यक्ति नया घर बनवाने की योजना बनाता है, तो उसकी यही इच्छा होती है कि वहां सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसके लिए वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करना बेहद आवश्यक होता है। यदि घर का निर्माण सही दिशा और वास्तु के नियमों के अनुसार किया जाए, तो यह न केवल घर के सदस्यों के लिए सौभाग्यशाली साबित होता है, बल्कि उनके जीवन में उन्नति के रास्ते भी खोलता है।

नए घर का निर्माण करते समय इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान

1. भूमि चयन और दिशाओं का महत्व

नए घर के लिए जमीन का चयन करते समय वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ स्थान का ध्यान रखना जरूरी होता है।

✅ समतल और पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में ढलान वाली जमीन सबसे शुभ मानी जाती है।

✅ दक्षिण या पश्चिम की ओर ढलान वाली भूमि से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।

✅ अगर पहले से किसी के द्वारा इस्तेमाल की गई भूमि खरीद रहे हैं, तो उसके इतिहास की जानकारी अवश्य लें।

2. घर का मुख्य द्वार कैसा हो?

मुख्य द्वार किसी भी घर की ऊर्जा के प्रवेश का द्वार होता है।

✅ घर का मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है।

✅ द्वार पर शुभ प्रतीक जैसे "ॐ", "स्वस्तिक" या "श्री" लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

✅ दरवाजे के सामने कोई बड़ा अवरोध (पेड़, बिजली का खंभा या दूसरी इमारत) नहीं होना चाहिए।

3. रसोईघर (किचन) की सही दिशा

रसोईघर गृहलक्ष्मी का स्थान होता है, इसलिए इसका सही दिशा में होना बेहद जरूरी है।

✅ किचन को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में बनाना सबसे शुभ होता है।

✅ खाना बनाते समय गृहणी का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

✅ किचन में पानी और अग्नि (गैस चूल्हा और सिंक) पास-पास नहीं होने चाहिए।

4. पूजाघर की सही स्थिति

घर में पूजाघर की स्थिति का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह घर की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है।

✅ पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में होना सबसे शुभ माना जाता है।

✅ मूर्तियों को दीवार से सटाकर न रखें, उनके चारों ओर थोड़ी जगह होनी चाहिए।

✅ पूजा घर में लाल और काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।

5. शयनकक्ष (बेडरूम) की सही दिशा

शयनकक्ष घर के सदस्यों की मानसिक शांति और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

✅ बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशा सबसे उपयुक्त होती है।

✅ सोते समय सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर या पश्चिम दिशा में होने चाहिए।

✅ दर्पण को बिस्तर के सामने लगाने से बचें, इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

6. बाथरूम और शौचालय का स्थान

घर में बाथरूम और शौचालय की दिशा गलत होने पर नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।

✅ टॉयलेट को घर के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में बनाना सबसे सही होता है।

✅ उत्तर-पूर्व और ब्रह्मस्थान (घर का केंद्र) में टॉयलेट बनाना अशुभ माना जाता है।

✅ बाथरूम और टॉयलेट के दरवाजे हमेशा बंद रखें ताकि नकारात्मक ऊर्जा घर में न फैले।

7. घर के आंगन और वेंटिलेशन का महत्व

✅ घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा का समुचित प्रवाह होना चाहिए।

✅ उत्तर-पूर्व दिशा में खुला स्थान रखना शुभ माना जाता है।

✅ घर में नियमित रूप से धूप और कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

नए घर में वास्तु दोष दूर करने के उपाय

अगर घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष हो जाए, तो निम्नलिखित उपाय करके इसे कम किया जा सकता है:

🔹 मुख्य द्वार पर स्वस्तिक और मंगल कलश स्थापित करें।

🔹 घर के ईशान कोण को साफ और स्वच्छ रखें।

🔹 सप्ताह में एक बार घर में गंगाजल का छिड़काव करें।

🔹 घर में तुलसी का पौधा लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें।

🔹 रात को सोने से पहले कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

नया घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करना अति आवश्यक होता है। सही दिशाओं और सकारात्मक ऊर्जा के अनुसार बनाए गए घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यदि निर्माण के दौरान कुछ वास्तु दोष हो भी जाएं, तो सरल उपायों से उन्हें दूर किया जा सकता है। सही दिशा में किया गया छोटा सा प्रयास आपके नए घर को लकी और शुभ बना सकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुति पर आधारित है | पब्लिक खबर इसमें दी गयी जानकारी और तथ्यों की सत्यता और संपूर्णता की पुष्टि नहीं करता है |

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