पति-पत्नी के बीच प्रेम और घर की समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण नियम

पति-पत्नी के बीच प्रेम और घर की समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण नियम
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सुखी और शांतिपूर्ण जीवन की कुंजी परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और आपसी तालमेल में छिपी होती है। यदि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहे, तो कलह और तनाव जैसी नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वास्तु शास्त्र में पति-पत्नी के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से न केवल वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है, बल्कि पूरे घर में सुख-शांति और समृद्धि का भी वास होता है।

वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार, घर का प्रत्येक कोना ऊर्जा का स्रोत होता है, इसलिए सोने का स्थान, रसोई की स्थिति, भोजन पकाने और खाने की विधि जैसी बातें भी हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। हाल के वर्षों में, यह चलन बढ़ गया है कि पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं। हालांकि, वास्तु शास्त्र इस आदत के बारे में क्या कहता है, यह जानना आवश्यक है।

पति-पत्नी के बेडरूम के लिए वास्तु नियम

पति-पत्नी का बेडरूम सिर्फ आराम करने की जगह नहीं होती, बल्कि यह उनके रिश्ते में प्रेम, सामंजस्य और सकारात्मकता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, वास्तु शास्त्र में बेडरूम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

1. दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे शुभ: वास्तु के अनुसार, घर में पति-पत्नी का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है। इससे संबंधों में मजबूती आती है और मनोभावों में सकारात्मकता बनी रहती है।

2. बेड के सिरहाने की सही दिशा: बेड का सिरहाना हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इससे रिश्तों में तनाव नहीं आता और मन में शांति बनी रहती है।

3. शीशा बेड के सामने न रखें: वास्तु के अनुसार, बेड के सामने शीशा रखने से रिश्ते में गलतफहमियां और तनाव बढ़ सकते हैं। इसलिए, अगर कमरे में शीशा हो तो उसे सही स्थान पर लगाएं या सोते समय ढक दें।

4. बेड के नीचे खाली स्थान रखें: बेड के नीचे सामान रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। इसलिए, इसे साफ-सुथरा रखना जरूरी है।

5. हल्के और सुखदायक रंग चुनें: बेडरूम में हल्के और सौम्य रंगों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि हल्का गुलाबी, क्रीम, हल्का नीला या हरा। यह रंग मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

पति-पत्नी को एक ही थाली में भोजन करना चाहिए या नहीं?

आजकल बहुत से जोड़े एक ही थाली में खाना खाने को प्रेम और निकटता का प्रतीक मानते हैं। हालांकि, वास्तु शास्त्र के अनुसार, पति-पत्नी का एक ही थाली में भोजन करना उचित नहीं माना गया है। इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण भी हैं:

* ऊर्जा संतुलन का प्रभाव: वास्तु और आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ऊर्जा होती है। एक ही थाली में भोजन करने से यह ऊर्जा मिल सकती है, जिससे कभी-कभी विचारों में असंतुलन और मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं।

* सम्मान और अनुशासन: प्राचीन परंपराओं के अनुसार, अलग-अलग थाली में भोजन करना व्यक्ति की निजता और सम्मान को दर्शाता है। यह भोजन में अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है।

* नकारात्मक प्रभाव: अगर पति-पत्नी के बीच पहले से कोई तनाव है, तो एक ही थाली में भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है, जिससे उनके बीच गलतफहमियां और भी ज्यादा बढ़ने की संभावना होती है।

* हालांकि, यदि दोनों प्रेम और सद्भाव से साथ बैठकर भोजन कर रहे हैं और उनके मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं है, तो इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फिर भी वास्तु शास्त्र के अनुसार, अलग-अलग थाली में भोजन करना अधिक शुभ माना गया है।

रसोई और भोजन से जुड़े वास्तु नियम

घर में रसोई का स्थान और भोजन पकाने की विधि भी घर की ऊर्जा को प्रभावित करती है। इसलिए, वास्तु शास्त्र में रसोई और भोजन से जुड़े कुछ विशेष नियम बताए गए हैं:

1. रसोई की सही दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई घर के दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में होनी चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं।

2. भोजन पकाने की दिशा: भोजन बनाते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। इससे स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

3. भोजन करने की दिशा: भोजन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। इससे भोजन का पूर्ण लाभ मिलता है और शरीर ऊर्जावान बना रहता है।

4. रात को जूठे बर्तन न छोड़ें: वास्तु के अनुसार, रात में जूठे बर्तन छोड़ना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। इससे घर में कलह और अशांति बढ़ सकती है।

5. भोजन में सकारात्मक ऊर्जा: खाना बनाते समय सकारात्मक विचार रखें और प्रेमपूर्वक भोजन पकाएं, क्योंकि भोजन का सीधा प्रभाव हमारे मन और शरीर पर पड़ता है।

घर में सुख-शांति बनाए रखने के अन्य वास्तु उपाय

. मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या ऊं का चिन्ह बनाएं: यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।

. घर में तुलसी का पौधा लगाएं: तुलसी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर के वातावरण को शुद्ध बनाती है।

. नकारात्मक चीजों को घर से हटाएं: टूटे-फूटे बर्तन, बंद घड़ियां, खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान और पुराने जूते-चप्पल घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं, इसलिए इन्हें तुरंत हटा देना चाहिए।

. सप्ताह में एक दिन नमक के पानी से पोछा लगाएं: यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

. सुबह और शाम घर में दीपक जलाएं: यह शुभता का प्रतीक होता है और घर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।

वास्तु शास्त्र जीवन को सुखद और समृद्ध बनाने के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बनाए रखने से लेकर घर में सुख-शांति स्थापित करने तक, हर छोटे-बड़े नियम का पालन करना लाभदायक होता है। एक ही थाली में भोजन करने की परंपरा भले ही व्यक्तिगत पसंद का विषय हो, लेकिन वास्तु के अनुसार अलग-अलग थाली में भोजन करना अधिक शुभ माना गया है।

यदि इन वास्तु नियमों का पालन किया जाए, तो घर में सकारात्मकता बढ़ती है, पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है और परिवार में प्रेम व समृद्धि का संचार बना रहता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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