सूखे की समस्या से जूझ रहा यह गांव, पानी के लिए कई किलोमीटर करते हैं सफर
पश्चिम बंगाल के बंकुरा जिले के एक गांव में लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं। यहां यह हाल है कि लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। यहां के नागरिकों का कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने के लिए यहां का रुख करते हैं, वरना किसी को हमारी समस्याओं का ख्याल नहीं रहता है।
शुली बोना नाम का यह गांव सल्तोरा ब्लॉक में आता है, जहां प्रसिद्ध आदिवासी जनजाति संथला की लगभग 400 आबादी निवास करती है। गांव में इस वक्त सूखे जैसी स्थिति है। गर्मियों के समय यहां पानी की समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। गांव में लोग इतनी बुरी हालत में जी रहे हैं कि पीने का पानी तक उनको नसीब नहीं हो रहा है, इसके लिए वे कई-कई किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
यहां रहने वाली एक महिला शांति मुरमु ने कहा कि हमारे पास बाथरूम तो हैं, लेकिन पानी के बिना उनका क्या करें इसलिए हमें जंगलों में जाना पड़ता है। इतने समय तक किसी को हमारी याद नहीं आती लेकिन वोट मांगने के लिए नेताओं को हमारी समस्याओं का ख्याल आ जाता है। चुनाव खत्म होने के बाद वे हमें कभी नजर नहीं आते हैं।
2014 लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले 1970 से यह सीट लगातार सीपीएम के पास रही है। लेकिन दोनों ही पार्टियों ने गांव के लिए कुछ नहीं किया है। गावों वालों का कहना है कि दोनों ही पार्टियों के शासन में पेयजल समस्या, बेरोजगारी, गरीबी और शिक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख चिंता का विषय बने हुए हैं।
बंकुरा से सीपीएम उम्मीदवार ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'वर्तमान सरकार के प्रयासों के बावजूद, पानी का संकट यहां बना हुआ है और यह समस्या आगे भी बनी रहेगी। पानी का स्तर नीचे जा रहा है और अधिकांश नलकूप इसके कारण ठीक से काम करने में विफल हैं। भूमिगत जल पुनर्भरण जल स्तर और स्थिति में सुधार के लिए अनिवार्य है।'
सल्मोरा, खटरा और तालडांगरा ब्लॉक के जमसोला, नोदी, लुखीपुर, गिधुरिया और अन्य आदिवासी गांवों में भी इसी तरह की स्थिति है।
हाल ही में सल्मोरा ब्लॉक के लखनपुर गांव में टीएमसी उम्मीदवार सुब्रत मुखर्जी को चुनाव प्रचार के लिए प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी। ग्रामीणों ने मांग की थी कि यहां प्रचार करने से पहले पानी की समस्या को हल किया जाए।