7 सितंबर की रात लगेगा 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण, भारत में होगा दृश्य, सूतक काल रहेगा प्रभावी

साल 2025 में खगोलीय घटनाओं की श्रृंखला में अगली बड़ी घटना के रूप में चंद्र ग्रहण का आगमन होने जा रहा है। यह वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा जो 7 सितंबर की रात से शुरू होकर 8 सितंबर की मध्यरात्रि तक चलेगा। इस पूर्ण चंद्र ग्रहण को भारत सहित कई देशों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। चूंकि यह भारत में दृश्यमान होगा, इसलिए इसका सूतक काल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रभावी रहेगा।
भारतीय समयानुसार यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर की अर्धरात्रि 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा, जिसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ऐसे खगोलीय घटनाएं न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इनका विशेष महत्व होता है।
हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अत्यंत संवेदनशील माना गया है। ग्रहण प्रारंभ होने से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण समाप्ति तक प्रभावी रहता है। सूतक के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता और कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को इस अवधि में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह समय शरीर और मानसिक ऊर्जा पर असर डाल सकता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह चंद्र ग्रहण कुछ राशियों के लिए विशेष फलदायक होगा, तो कुछ के लिए यह चेतावनी स्वरूप भी माना जा रहा है। ग्रहण काल में मंत्र जाप, ध्यान, और दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। तुलसी के पत्ते खाने-पीने की वस्तुओं में डालकर उन्हें सुरक्षित रखने की परंपरा भी इस काल के दौरान निभाई जाती है।
ग्रहण की वैज्ञानिक महत्ता के अलावा, इसकी धार्मिक मान्यताएं भी लोगों को प्रभावित करती हैं। इस दिन देशभर में श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करके पूजा-पाठ करते हैं। यह भी मान्यता है कि ग्रहण समाप्त होने के बाद किए गए जप और दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक मिलता है।
इस प्रकार 7 सितंबर 2025 की रात लगने वाला यह चंद्र ग्रहण धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। इसके समय और प्रभाव को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं को सूझबूझ के साथ इसका पालन करना चाहिए।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।