27 मई 2025 का पंचांग: भौमवती अमावस्या पर सूर्यादय से अमावस्या तिथि तक का संपूर्ण विवरण, जानिए शुभ योग और पूजा के श्रेष्ठ मुहूर्त

27 मई 2025 का दिन क्यों है विशेष?
हिंदू पंचांग के अनुसार 27 मई 2025, मंगलवार का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भौमवती अमावस्या पड़ रही है, जो कि मंगलवार और अमावस्या तिथि के संयोग के कारण एक विशिष्ट दिन बन जाता है। इस योग को अत्यंत शुभ और प्रभावकारी माना जाता है, खासकर ग्रह शांति, पितृ दोष निवारण और मंगल दोष से मुक्ति के लिए।
अमावस्या तिथि की अवधि और मुहूर्त
27 मई को अमावस्या तिथि सुबह 06:21 बजे तक रहेगी। इसका अर्थ यह है कि अमावस्या की पूजा और तर्पण जैसे कर्मों के लिए प्रातःकाल का समय ही सबसे उपयुक्त रहेगा। इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
इस दिन अमावस्या तिथि के दौरान पितरों का तर्पण, दान-पुण्य और हनुमान जी की विशेष पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस संयोग में पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और शुभता का आगमन होता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05:26 बजे
सूर्यास्त: शाम 07:08 बजे
इन दोनों समयों के आधार पर पंचांग के अन्य गणना जैसे राहुकाल, अभिजीत मुहूर्त और चौघड़िया का निर्धारण होता है। चूंकि यह दिन मंगलवार है, और सुबह की शुरुआत ही अमावस्या तिथि के साथ हो रही है, इसलिए सूर्योदय के तुरंत बाद से पूजा-पाठ, मंत्र जाप और हनुमान चालीसा का पाठ करना विशेष लाभकारी रहेगा।
शुभ मुहूर्त और योग
27 मई को भौमवती अमावस्या के साथ-साथ कुछ शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ और ‘अमृत सिद्धि योग’ का निर्माण हो सकता है (यह जानकारी स्थानीय पंचांग और नक्षत्र स्थिति पर आधारित होगी), जो इसे विशेष बनाता है।
अभिजीत मुहूर्त: 11:56 AM से 12:50 PM तक
राहुकाल: 03:42 PM से 05:22 PM तक (इस दौरान कोई शुभ कार्य न करें)
गोधूलि बेला: 06:52 PM से 07:12 PM तक (दीपदान और गृह शांति के लिए उत्तम समय)
पूजा और कर्मकांड से प्राप्त होंगे विशेष फल
यदि आज के दिन भक्तजन विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा करते हैं, तो उन्हें मानसिक और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। विशेषकर जो लोग कर्ज़, रोग, मुकदमेबाजी या वैवाहिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह दिन विशेष राहत देने वाला साबित हो सकता है।
अमावस्या तिथि के दौरान जल तर्पण और पूर्वजों का स्मरण करके किए गए कर्मकांड पितृ दोष को शांत करते हैं। इसी के साथ, भौमवती अमावस्या के योग में दान-दक्षिणा करने से सौ गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
27 मई 2025 का यह मंगलवार केवल सप्ताह का एक सामान्य दिन नहीं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से एक दुर्लभ और शुभ योग वाला दिन है। प्रातःकाल अमावस्या तिथि और दिनभर मंगल ग्रह की ऊर्जा का प्रभाव, दोनों ही इस दिन को तप, साधना, और उपासना के लिए श्रेष्ठ बनाते हैं। यदि आज के दिन उचित विधि से पूजा की जाए, तो यह न केवल वर्तमान कष्टों का निवारण करेगा, बल्कि भविष्य को भी उज्जवल बनाएगा।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।