28 अप्रैल 2025 का पंचांग, वैशाख शुक्ल प्रतिपदा पर बन रहा है आयुष्मान योग का दुर्लभ संयोग

28 अप्रैल 2025 का पंचांग, वैशाख शुक्ल प्रतिपदा पर बन रहा है आयुष्मान योग का दुर्लभ संयोग
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28 अप्रैल 2025 को हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ हो रहा है। इस दिन सोमवार का दिन है जो स्वयं चंद्रदेव से जुड़ा होता है, और चंद्रमा मन के स्वामी माने जाते हैं। प्रतिपदा तिथि सोमवार रात 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगी, जिसके बाद द्वितीया तिथि का आगमन होगा। खास बात यह है कि इस दिन आयुष्मान योग भी बन रहा है, जो रात 8 बजकर 2 मिनट तक प्रभावी रहेगा। आयुष्मान योग को अत्यंत पुण्यदायी और दीर्घकालिक शुभ फल प्रदान करने वाला योग माना जाता है। इस योग में जो भी कार्य आरंभ किए जाते हैं, वे लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम देते हैं और व्यक्ति को जीवनभर सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

आयुष्मान योग का महत्व: क्यों है यह योग विशेष?

आयुष्मान शब्द का अर्थ ही होता है "दीर्घायु"। भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों द्वारा जब छोटों को 'आयुष्मान भव:' का आशीर्वाद दिया जाता है, तो उसके पीछे लंबी और सुखद आयु की कामना छिपी होती है। ठीक उसी भावना को ज्योतिष में आयुष्मान योग के माध्यम से व्यक्त किया गया है। इस योग में की गई शुरुआत, चाहे वह नया व्यवसाय हो, गृह प्रवेश, विवाह, संतान जन्म के संस्कार हों या अन्य कोई शुभ कार्य, जीवन में स्थिरता और निरंतर वृद्धि का कारक बनता है। आयुष्मान योग के प्रभाव से व्यक्ति के कार्यों में बाधाएँ कम आती हैं और सौभाग्य हमेशा उसके साथ बना रहता है। इस दिन यदि आप कोई दीर्घकालिक योजना या बड़ा निवेश करना चाहते हैं, तो यह समय अत्यंत अनुकूल रहेगा।

भरणी नक्षत्र का प्रभाव और महत्व

28 अप्रैल को भरणी नक्षत्र का भी विशेष महत्व रहेगा, जो सोमवार रात 9 बजकर 38 मिनट तक प्रभावी रहेगा। भरणी नक्षत्र को यमराज के अधिपत्य वाला नक्षत्र माना गया है, जो धर्म, कर्तव्य और आत्मनियंत्रण के गुणों से संबंधित है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यों में गहरी स्थिरता और दृढ़ता देखी जाती है। यदि कोई व्यक्ति भरणी नक्षत्र में शुभ कार्य करता है, तो उसे जीवन में अनुशासन, समर्पण और सफलताओं की प्राप्ति होती है। विशेषकर नई शुरुआत, कला, संगीत, लेखन और चिकित्सा से जुड़े कार्यों के लिए भरणी नक्षत्र अत्यंत उपयुक्त होता है।

28 अप्रैल 2025 का राहुकाल और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

हर दिन की तरह सोमवार को भी राहुकाल का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। राहुकाल में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस समय ग्रहों की स्थिति बाधा उत्पन्न कर सकती है। 28 अप्रैल को राहुकाल दोपहर 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 00 मिनट तक रहेगा। अतः इस समयावधि में कोई नया कार्य प्रारंभ करना टालना चाहिए।

सूर्योदय का समय प्रातः 5 बजकर 50 मिनट पर होगा जबकि सूर्यास्त शाम 6 बजकर 45 मिनट पर होगा। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय में शुभ मुहूर्त का लाभ लेकर अपने महत्वपूर्ण कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। आयुष्मान योग और भरणी नक्षत्र का संयुक्त प्रभाव इस दिन को और भी अधिक पवित्र और फलदायी बना रहा है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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