30 मई को वैनायकी गणेश चतुर्थी का पर्व, जानें गणपति पूजन की विधि और धार्मिक महत्व

30 मई को वैनायकी गणेश चतुर्थी का पर्व, जानें गणपति पूजन की विधि और धार्मिक महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वैनायकी गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। मई 2025 में यह पावन तिथि 30 तारीख को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु भगवान श्री गणेश का व्रत रखते हैं और विधिवत पूजन-अर्चन करते हैं। चतुर्थी तिथि भगवान गणपति की प्रिय तिथि मानी जाती है, और यही कारण है कि हर महीने की चतुर्थी पर गणेश भक्त विशेष श्रद्धा के साथ उनका पूजन करते हैं।

वैनायकी चतुर्थी का यह पर्व गणेश जी की कृपा पाने का एक उत्तम अवसर होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति पूजन करने से बाधाओं का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा गया है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य या पूजा का आरंभ सबसे पहले श्री गणेश के पूजन से ही किया जाता है।

30 मई को पड़ रही इस वैनायकी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर सिंदूर, दूर्वा, लड्डू और पंचामृत से पूजन किया जाता है। पूजा में गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा और गणपति मंत्रों का पाठ करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि गणेश जी की उपासना से बुद्धि, विवेक, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से वाणिज्य, शिक्षा और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए वैनायकी चतुर्थी का व्रत अत्यंत शुभफलदायी होता है। इस दिन व्रत रखकर गणेश जी को तिल, गुड़, मोदक और लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। संध्या के समय गणेश आरती के साथ व्रत का समापन किया जाता है।

इस प्रकार 30 मई 2025 को आने वाली वैनायकी गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल धार्मिक श्रद्धा से जुड़ा है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और जीवन में सकारात्मकता लाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से गणेश पूजन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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